Sun, 26 Oct 2025 23:57:17 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बाराहाट: लोक आस्था के महापर्व छठ के पावन अवसर पर मिर्जापुर गांव में इस वर्ष दोहरी खुशियाँ देखने को मिलीं। बचपन से ही ननिहाल में रहकर पढ़ाई कर रहे ऋतिक यादव ने प्रथम प्रयास में ही एसएससी सीपीयू के माध्यम से सब-इंस्पेक्टर पद पर चयनित होकर अपने परिवार और पूरे गांव का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया।
ऋतिक यादव मूलतः मुंगेर जिले के बड़ी गोविंदपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता व्यास मुनि एक मेहनती किसान हैं। ऋतिक अपने नाना-नानी के घर मिर्जापुर के रघुनंदन महाराणा के यहां रहकर पढ़ाई कर रहे थे। इस चयन से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। विशेष रूप से उनकी छोटी बहन इस वर्ष ही बिहार पुलिस में नियुक्त हुई है, जिससे परिवार का गौरव और भी बढ़ गया।
ऋतिक के परिवार में शिक्षा और सेवा का भाव साफ दिखाई देता है। उनके नाना-नानी की पोती रूशाली यादव बीएचयू में मेडिकल चौथे साल की छात्रा हैं, जबकि दूसरी पोती अंजलि रांची में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। दोनों बहनों के पिता राजेश कुमार भी सब-इंस्पेक्टर के पद पर बोकारो, झारखंड में सेवा दे रहे हैं। ऐसे में ऋतिक की सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे परिवार और गांव के लिए गौरव का विषय बन गई है।
ऋतिक ने अपने जीवन की शुरुआत गांव के छोटे स्कूल से की और आठवीं कक्षा तक यहीं पढ़ाई की। इसके बाद मैट्रिक उन्होंने बामदेव उच्च विद्यालय से, जबकि इंटर और स्नातक की पढ़ाई डीएन सिंह महाविद्यालय, रजौन से पूरी की। स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने घर में ही रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू की। ऋतिक ने बताया कि एसएससी सीपीयू का फॉर्म भरते ही उन्होंने अपनी पूरी मेहनत और अनुशासन के साथ तैयारी शुरू की और पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली।
उनकी सफलता से पूरे गांव में हर्ष और उत्साह का माहौल बन गया है। गाँव के युवा छात्र अब ऋतिक को देखकर प्रेरित हो रहे हैं और तैयारी में जुट गए हैं। ऋतिक का कहना है कि वह चाहते हैं कि गांव के और छात्र भी मेहनत और लगन से अपने सपनों को सच करें।
ऋतिक के इस अद्भुत उपलब्धि पर पूर्व प्रमुख राजेश यादव, पैक्स अध्यक्ष नीरज कुमार, उप मुखिया प्रतिनिधि होरिल चौधरी, साहित्यकार अनिरुद्ध प्रसाद विमल, अश्विनी प्रजावंशी, सेवानिवृत्त शिक्षक सुरेंद्र यादव, अनिल यादव और समाजसेवी मंगनी लाल यादव ने उनके घर पहुंचकर उन्हें चादर और बुके भेंट कर सम्मानित किया और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
ऋतिक की सफलता ने साबित कर दिया कि लगन, मेहनत और आत्मविश्वास के साथ कोई भी चुनौती असंभव नहीं है। इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे मिर्जापुर गांव में गर्व और उत्साह का नया अध्याय जोड़ दिया है। गांववासियों का कहना है कि ऋतिक का यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और उनके जैसे युवा ही समाज और देश को नई दिशा देंगे।
इस पावन छठ महापर्व पर ऋतिक की सफलता का जश्न, गांव की गलियों में बच्चों की हँसी और परिवार की खुशी के साथ मिलकर माहौल को और भी यादगार बना गया। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि मेहनत, शिक्षा और परिवारिक समर्थन की मिसाल बन गई है।