Sat, 02 Aug 2025 20:50:00 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बस्ती: शनिवार को आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस उस समय तनावपूर्ण माहौल में बदल गया जब बनकटी नगर पंचायत के गांधीनगर वार्ड निवासी नर नारायण पाल हाथ में ज्वलनशील पदार्थ से भरा गैलन लेकर सदर तहसील परिसर में पहुंचा। प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल की मौजूदगी में वह खुद को आग लगाने ही वाला था, लेकिन सतर्कता बरतते हुए पुलिसकर्मियों ने तत्परता दिखाई और गैलन छीनकर उसे हिरासत में ले लिया। मौके पर मौजूद लोगों के बीच कुछ समय के लिए अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया।
नर नारायण पाल ने बताया कि उनके गांव में स्थित पुश्तैनी जमीन पर कुछ स्थानीय लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है और वहां स्थायी निर्माण कार्य भी कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले कई महीनों से वे नगर पंचायत बनकटी के अधिशासी अधिकारी और हल्का लेखपाल को लेकर कई बार शिकायत कर चुके हैं। पीड़ित का कहना है कि अब तक उन्होंने करीब 20 से ज्यादा बार विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन हर बार जब मामले की जांच होती है तो अधिशासी अधिकारी और लेखपाल की ओर से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर भ्रामक रिपोर्ट दी जाती है, जिससे न तो कार्रवाई होती है और न ही कब्जा हटाया जाता है।
पीड़ित ने बताया कि उनकी लगातार शिकायतों के बाद 31 मई को कब्जाधारियों के खिलाफ एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 15 दिनों के भीतर जमीन खाली न करने पर नगर पंचायत अतिक्रमण हटाकर उसका खर्च कब्जाधारियों से वसूल करेगी। लेकिन इस नोटिस के 50 दिन बाद भी मौके पर न तो किसी प्रकार की कोई कार्रवाई हुई और न ही नगर पंचायत द्वारा कोई स्पष्ट जवाब दिया गया।
इस पूरे मामले ने प्रशासनिक व्यवस्था और शिकायत निस्तारण प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। संपूर्ण समाधान दिवस जैसे मंच, जहां आम जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाना चाहिए, वहां एक नागरिक को आत्मदाह जैसे गंभीर कदम उठाने की स्थिति में पहुंचना कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है।
वहीं, इस घटनाक्रम के बाद स्थानीय प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए पीड़ित से पूछताछ शुरू कर दी है और जांच का आश्वासन दिया है। पुलिस का कहना है कि व्यक्ति को हिरासत में लेकर उसकी शिकायतों की जानकारी ली जा रही है और यदि उसके आरोपों में दम पाया गया तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन ने उचित कार्रवाई की होती तो आज एक व्यक्ति को आत्मदाह जैसा कदम उठाने की नौबत न आती। यह घटना एक बार फिर यह सोचने को मजबूर कर रही है कि क्या आम जनता की आवाज सच में सुनी जा रही है या समाधान दिवस केवल औपचारिकता भर बनकर रह गया है।