Tue, 07 Oct 2025 12:10:08 - By : Garima Mishra
वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सोमवार को दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का विख्यात बौद्ध पर्व पवारणा दिवस पहली बार भव्य रूप से मनाया गया। यह पर्व भगवान बुद्ध के तावतिंस स्वर्ग से पृथ्वी पर आने और अपनी माता महामाया देवी को अभिधम्म का उपदेश देने की स्मृति में आयोजित किया गया। इसके बाद भगवान बुद्ध ने यह गूढ़ उपदेश अपने प्रमुख शिष्य अरहंत सारिपुत्त को दिया।
पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग के विद्यार्थियों ने इस अवसर पर म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका और वियतनाम के विशेषज्ञों के साथ मिलकर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार यादव ने बताया कि इस दिन भिक्षुओं के वर्षावास का समापन होता है और इसे बड़े श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाया जाता है।
कार्यक्रम में म्यांमार के भिक्षु पञ्ञावंस और भिक्षु पोणेय्य ने पवारणा दिवस के इतिहास और परंपरा पर विस्तृत प्रस्तुति दी। थाईलैंड के अनंतचाय नगमचालाह ने थाई परंपराओं और समारोह के महत्व पर अपने विचार साझा किए। वियतनाम के भिक्षु और भिक्षुणियों ने पवित्र मंगलपाठ प्रस्तुत किया। तिब्बती दृष्टिकोण से सिद्धार्थ ने इस पर्व की वैश्विक प्रासंगिकता को समझाया।
इस अवसर पर मिथिला और वाराणसी क्षेत्र में मनाए जाने वाले हिंदू परंपराओं के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यक्रम में प्रोफेसर प्रीति कुमारी दुबे, डॉ. बुद्धघोष, डॉ. शैलेंद्र कुमार और विदेशी छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहीं।
पवारणा दिवस आश्विन पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह बौद्ध देशों में अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। परंपरा के अनुसार इस दिन विधि-विधान से पूजन और अनुष्ठान संपन्न होते हैं। बीएचयू में इस पर्व का आयोजन विद्यार्थियों और भिक्षुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव और वैश्विक बौद्ध संस्कृति के समन्वय का महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ।