Sat, 08 Nov 2025 14:33:00 - By : Garima Mishra
वाराणसी : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल और आयुर्विज्ञान संस्थान में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। हाल के महीनों में लगातार हुई घटनाओं से आक्रोशित रेजिडेंट डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी, आईएमएस-बीएचयू ने कुलपति को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण अस्पताल परिसर अब डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है।
पत्र में बताया गया कि पिछले कुछ महीनों में अस्पताल परिसर में कई बार डॉक्टरों से मारपीट, अभद्र व्यवहार और महिला डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हुई हैं। सितंबर 2024 में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था में कोई ठोस बदलाव नहीं किया गया। रेजिडेंट डॉक्टरों ने लिखा कि उस समय प्रशासन ने कई वादे किए थे, लेकिन न तो सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाई गई, न ही बायोमेट्रिक प्रवेश प्रणाली लागू की गई। डॉक्टरों ने कहा कि मौजूदा सुरक्षा गार्डों में कई उम्रदराज हैं, जो संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय रूप से निगरानी नहीं कर पा रहे हैं।
रेजिडेंट डॉक्टर्स वेलफेयर सोसाइटी ने कुलपति से आठ बिंदुओं पर तत्काल कदम उठाने की मांग की है। इसमें प्रशिक्षित गार्डों की संख्या बढ़ाने, आईसीयू और इमरजेंसी जैसे संवेदनशील इलाकों में विशेष गार्डों की तैनाती, सभी वार्डों में बायोमेट्रिक एक्सेस लागू करने और इमरजेंसी क्षेत्रों में अलार्म सिस्टम व सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था शामिल है। साथ ही नाइट पेट्रोलिंग टीम की स्थायी तैनाती और अस्पताल परिसर में UP Medicare Protection Act, 2013 का सार्वजनिक प्रदर्शन करने की भी मांग की गई है।
डॉ गौरव, जो रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने कहा कि अगर प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो डॉक्टर अपनी सेवाएं, जिसमें इमरजेंसी ड्यूटी भी शामिल है, रोकने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में सभी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की होगी।
डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल परिसर में 24 घंटे सक्रिय निगरानी और प्रशिक्षित सुरक्षा व्यवस्था जरूरी है ताकि मरीजों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी भी सुरक्षित वातावरण में कार्य कर सकें। उनका यह भी कहना है कि प्रशासन को घटनाओं के बाद केवल बयान देने के बजाय ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियां न बनें। फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।