बीएचयू कुलपति ने संकाय सदस्यों से किया संवाद, पारदर्शिता व विकेंद्रीकरण पर जोर दिया।

बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर अजित कुमार चतुर्वेदी ने संकाय सदस्यों से संवाद कर पारदर्शिता, विकेंद्रीकरण और वित्तीय समस्याओं के समाधान पर बल दिया।

Tue, 16 Sep 2025 11:34:34 - By : Shriti Chatterjee

वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में सोमवार को स्वतंत्रता भवन में कुलपति प्रोफेसर अजित कुमार चतुर्वेदी ने संकाय सदस्यों के साथ अपने पहले औपचारिक संवाद में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने पर जोर दिया। खचाखच भरे सभागार में कुलपति ने कहा कि किसी भी बड़े संस्थान के सुचारु संचालन के लिए अधिकारों का विकेंद्रीकरण बेहद जरूरी है। उन्होंने सभी संकाय प्रमुखों और शिक्षकों से विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।

कुलपति ने स्पष्ट किया कि वित्त कार्यालय में जल्द ही एक समर्पित प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। यह प्रकोष्ठ खरीद प्रक्रिया, निविदाओं और अन्य वित्तीय मामलों से संबंधित दिक्कतों का समाधान करेगा। उन्होंने कहा कि शोध परियोजनाओं और अकादमिक कामों में अक्सर संकाय सदस्यों को प्रशासनिक और वित्तीय जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। नया प्रकोष्ठ इन समस्याओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और समय पर आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

विश्वविद्यालय में उपयोगकर्ता समितियों के गठन पर भी जोर दिया गया। कुलपति ने बताया कि कंप्यूटर सेंटर को अधिक सुलभ और प्रतिक्रियाशील बनाने के लिए एक उपयोगकर्ता समिति पहले ही बनाई जा चुकी है। उन्होंने कर्मचारी स्वास्थ्य संकुल और अन्य प्रमुख सेवाओं के लिए भी इसी तरह की समितियां गठित करने का सुझाव दिया, ताकि विश्वविद्यालय की सेवाओं का प्रभावी प्रबंधन हो सके और हितधारकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

संचार और संवाद को सशक्त बनाने के लिए प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि कंप्यूटर सेंटर जल्द ही संकाय-विशिष्ट ईमेल समूह तैयार करेगा। इससे न केवल महत्वपूर्ण सूचनाओं का आदान-प्रदान सरल होगा, बल्कि शिक्षकों और प्रशासन के बीच विचार-विमर्श भी अधिक सहज हो सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रमुख पदों पर, जिन पर नियुक्ति के लिए कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है, वहां चयन प्रक्रिया व्यापक विचार-विमर्श और विश्वविद्यालय समुदाय की भागीदारी के आधार पर की जानी चाहिए। इसके लिए उन्होंने दो-स्तरीय प्रक्रिया का सुझाव दिया।

छात्रों के फीडबैक को लेकर भी कुलपति ने एक नई पहल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अच्छे शिक्षकों की पहचान विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया से होगी और इसके लिए जल्द ही एक औपचारिक प्रणाली लागू की जाएगी। इस कदम से शिक्षण गुणवत्ता में सुधार लाने और छात्रों की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

कैशलेस उपचार की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर उन्होंने बताया कि इस पर काम जारी है और 31 दिसंबर तक इस सुविधा को लागू करने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सीएएस प्रमोशन की प्रक्रिया प्रगति पर है। अपने संबोधन के अंत में कुलपति ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की वास्तविक पहचान उसके आंतरिक समुदाय की धारणा से तय होती है, न कि केवल बाहरी राय से। उन्होंने सभी शिक्षकों से समन्वय और सहयोग की भावना के साथ मिलकर सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की।

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