Wed, 09 Jul 2025 12:55:29 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एंटी करप्शन ब्रांच ने मंगलवार की रात केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के सहायक लेखाधिकारी मुकेश रंजन गुप्ता को रंगे हाथों रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी बड़ालालपुर स्थित हस्तकला संकुल परिसर में की गई, जहां अधिकारी एक कर्मचारी से बिल पास कराने के एवज में 5000 रुपये की अवैध मांग कर रहा था।
सीबीआई लखनऊ की टीम ने इस कार्रवाई को पूरी गोपनीयता और रणनीतिक तैयारी के साथ अंजाम दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुकेश रंजन गुप्ता पर आरोप है कि उसने विभाग में सहायक ड्रिलर पद पर कार्यरत कर्मचारी चतुरानंद त्रिवेदी से जनवरी 2025 के यात्रा भत्ते (टीए) बिल की मंजूरी के बदले बार-बार रिश्वत की मांग की थी। कर्मचारी ने जब पैसे देने से इनकार किया, तो बिल रोकने और तबादले की धमकी तक दी गई।
सहायक ड्रिलर चतुरानंद त्रिवेदी ने इस मामले में 3 जुलाई 2025 को सीबीआई लखनऊ को औपचारिक शिकायत दी थी, जिसमें स्पष्ट रूप से आरोप लगाया गया कि मुकेश रंजन गुप्ता ने पांच जुलाई तक 5000 रुपये की रिश्वत नहीं देने की स्थिति में टीए बिल की जांच करवाकर भुगतान रोकने की धमकी दी है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने तत्काल जांच शुरू की और कुछ ही दिनों में ठोस साक्ष्य एकत्र किए।
जांच के दौरान स्पष्ट हुआ कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं। इसके बाद सीबीआई टीम ने योजना के तहत मंगलवार की रात मुकेश रंजन गुप्ता को उस वक्त धर दबोचा, जब वह हस्तकला संकुल परिसर में रिश्वत की राशि स्वीकार कर रहा था। गिरफ्तारी के तुरंत बाद सीबीआई टीम ने गुप्ता को लखनऊ ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी है।
सीबीआई लखनऊ की अपर पुलिस अधीक्षक रानू चौधरी ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि मुकेश रंजन गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले की आगे की जांच सीबीआई के निरीक्षक संजय त्यागी को सौंपी गई है, जो गहनता से सभी तथ्यों और संबंधित दस्तावेजों की छानबीन कर रहे हैं।
इस कार्रवाई के बाद विभागीय महकमे में भी हड़कंप मच गया है। यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत अधिकारी की भ्रष्ट प्रवृत्ति को उजागर करता है, बल्कि सरकारी कार्यालयों में व्याप्त उस व्यवस्थागत भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करता है जिससे अक्सर आम कर्मचारी पीड़ित होते हैं। इस कार्रवाई को प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि इससे अन्य भ्रष्ट अधिकारियों में भी भय व्याप्त होगा।
वाराणसी जैसे शहर, जहां केंद्रीय परियोजनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहां इस प्रकार की निगरानी और निष्पक्ष जांचें प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। सीबीआई की इस सफल कार्रवाई ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का समय अब आ चुका है।