दुबई/अबू धाबी: खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक रूपांतरण और तेल पर आधारित पारंपरिक व्यवस्था से आगे बढ़ते हुए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपने वीज़ा नियमों में बड़ा और रणनीतिक बदलाव किया है। विकास की नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूएई ने एक संशोधित और अधिक आकर्षक गोल्डन वीज़ा कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर निवेशकों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, एथलीटों और छात्रों को लंबे समय तक देश में बनाए रखना है। इस नई नीति के तहत, इन क्षेत्रों से जुड़े लोग अब यूएई में बिना किसी प्रायोजक के पांच से दस वर्षों तक वैध रूप से निवास कर सकेंगे, और यह वीज़ा नवीकरणीय भी होगा।
यूएई के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह नया वीज़ा कार्यक्रम विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए बनाया गया है, जो किसी क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने की क्षमता रखते हैं या आर्थिक रूप से उच्च-निवल संपत्ति वाले हैं। इस पहल का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसके लिए पारंपरिक वीज़ा की तरह किसी स्थानीय प्रायोजक की आवश्यकता नहीं होगी। यह उन हजारों भारतीयों सहित दुनियाभर के लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकता है, जो खाड़ी देशों में एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य की तलाश कर रहे हैं। यूएई पहले ही भारतीय प्रवासियों का सबसे बड़ा गंतव्य बना हुआ है, जहां करीब 35 प्रतिशत जनसंख्या भारतीय मूल की है और इनकी संख्या 35 लाख से अधिक बताई जाती है।
'गोल्डन वीज़ा' पहल यूएई की व्यापक आर्थिक सुधार योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे बीते वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है। नई नीति के अनुसार, ऐसे सभी वीज़ा धारक छह महीने से अधिक की अवधि तक देश से बाहर रह सकते हैं, जबकि सामान्य वीज़ा धारकों के लिए यह सीमा छह महीने की ही होती है। इसके अलावा, वीज़ा धारक अपने जीवनसाथी और बच्चों को भी, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो, देश में प्रायोजित कर सकेंगे। यहां तक कि अगर गोल्डन वीज़ा धारक की मृत्यु हो जाती है, तो भी उसके परिवार को निर्धारित समय तक यूएई में निवास की अनुमति बनी रहेगी।
निवेशकों के लिए गोल्डन वीज़ा पाने के लिए कुछ सख्त मानदंड भी तय किए गए हैं। इच्छुक आवेदकों को या तो यूएई सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी निवेश कोष में न्यूनतम 2 मिलियन एईडी (लगभग 4.67 करोड़ रुपये) का निवेश करना होगा, या फिर उन्हें ऐसा वैध वाणिज्यिक अथवा औद्योगिक लाइसेंस प्रस्तुत करना होगा जिसमें स्पष्ट रूप से यह लिखा हो कि उनकी कंपनी की पूंजी 2 मिलियन एईडी से कम नहीं है। इसके अलावा, आवेदन के साथ यूएई के संघीय कर प्राधिकरण से ऐसा प्रमाण-पत्र भी आवश्यक है, जो यह दर्शाता हो कि निवेशक प्रतिवर्ष कम से कम 2.5 लाख दिरहम कर के रूप में सरकार को अदा करता है।
जिनके पास यूएई में अचल संपत्ति है, वे भी इस वीज़ा के लिए पात्र हो सकते हैं, बशर्ते कि संपत्ति का मूल्य 2 मिलियन दिरहम से कम न हो और उसकी कानूनी स्वामित्व स्थिति स्पष्ट हो। यह विशेष छूट उन्हें बिना किसी प्रायोजक के भी दी जाएगी, और उन्हें पांच वर्षों का दीर्घकालिक वीज़ा मिल सकेगा। यह सभी प्रावधान उन लोगों के लिए खास रूप से मददगार साबित होंगे, जो यूएई में न केवल निवेश करना चाहते हैं, बल्कि अपने परिवार के साथ स्थायी रूप से बसने की योजना भी बना रहे हैं।
भारत और यूएई के संबंधों की बात करें तो बीते दशक में यह रिश्ते अभूतपूर्व गति से आगे बढ़े हैं। अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यूएई यात्रा के बाद से दोनों देशों ने कई रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियों पर काम किया है। वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) भी हुआ, जिससे व्यापारिक संबंधों को एक नई ऊंचाई मिली। इस समझौते के बाद से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय तेजी आई है, जिससे यूएई की तरफ से भारत के प्रति विश्वास और निकटता और अधिक बढ़ी है।
यूएई सरकार की इस नई वीज़ा नीति को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक दूरदर्शी और व्यावहारिक कदम माना जा रहा है। यह न सिर्फ देश को प्रतिभा और पूंजी का आकर्षण केंद्र बना रहा है, बल्कि साथ ही खाड़ी क्षेत्र में एक नवाचार-आधारित, बहु-आयामी अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा में भी मजबूत नींव रख रहा है। गोल्डन वीज़ा की यह नई परिकल्पना आने वाले वर्षों में यूएई को एक वैश्विक प्रतिभा-गंतव्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन सकती है।
यूएई का गोल्डन वीज़ा कार्यक्रम, निवेशकों, उद्यमियों और पेशेवरों के लिए सुनहरा अवसर

यूएई ने अपने गोल्डन वीज़ा नियमों में बदलाव करते हुए निवेशकों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, एथलीटों और छात्रों को बिना प्रायोजक के 5 से 10 वर्षों तक निवास करने की अनुमति दी है।
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