Fri, 25 Jul 2025 22:04:41 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक अहम और कड़ा कदम उठाते हुए देशभर में अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट प्रसारित करने वाले 25 ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) ने यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69A के तहत की है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता के मद्देनजर ऐसे डिजिटल माध्यमों पर कार्यवाही की जा सकती है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये प्लेटफॉर्म्स मनोरंजन की आड़ में अश्लील, कामोत्तेजक और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ सामग्री परोस रहे थे, जिनमें महिलाओं के प्रति अपमानजनक दृश्यों और संवादों की भरमार थी। इन प्लेटफॉर्म्स पर न कोई सेंसर व्यवस्था थी, न ही कोई आयु-सीमा प्रतिबंध, जिसके चलते युवा वर्ग और नाबालिग भी इस प्रकार की सामग्री तक आसानी से पहुंच बना पा रहे थे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रतिबंधित किए गए इन 25 OTT प्लेटफॉर्म्स में अधिकतर ऐसे एप्स और वेबसाइटें शामिल हैं जो गूगल प्ले स्टोर और थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म्स के जरिए आम जनता के लिए उपलब्ध थीं। इन एप्स में 'ULLU', 'Fliz Movies', 'Kooku', 'Prime Play', 'Hotshots', 'Nuefliks', 'NeonX', 'Rabbit Movies', 'XPrime' जैसी कई प्रमुख नाम शामिल हैं, जिन पर पहले भी कंटेंट को लेकर कई शिकायतें दर्ज की गई थीं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा निर्मित वेब सीरीज, लघु फिल्में और अन्य डिजिटल सामग्री में स्पष्ट रूप से अश्लीलता को बढ़ावा दिया जा रहा था। यह सामग्री भारतीय संस्कृति, कानून और सामाजिक मर्यादाओं के खिलाफ पाई गई। साथ ही, अधिकांश एप्स पर किसी भी प्रकार की आयु सत्यापन प्रक्रिया नहीं थी।
इन एप्स द्वारा प्रस्तुत कुछ वीडियो में नग्नता, यौन हिंसा, और महिलाओं के खिलाफ हिंसात्मक दृश्य थे, जो सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत भी अवैध माने जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से सरकार को देशभर से इन OTT प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। कई महिला आयोगों, सामाजिक संगठनों और अभिभावकों ने इन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कंटेंट को बच्चों के मानसिक विकास के लिए घातक बताया था। इसके बाद सरकार ने विस्तृत जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की और संबंधित तकनीकी एजेंसियों के माध्यम से इन प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया गया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस संदर्भ में कहा कि सरकार डिजिटल माध्यमों की स्वतंत्रता की पक्षधर है, लेकिन यह स्वतंत्रता भारतीय संविधान, सामाजिक मूल्यों और कानून की सीमाओं में रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता को बढ़ावा देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। “हम रचनात्मकता का स्वागत करते हैं, लेकिन अनैतिक और अवैध कंटेंट की इजाज़त नहीं दी जा सकती,” उन्होंने कहा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अगर कोई और डिजिटल प्लेटफॉर्म भी इस तरह की आपत्तिजनक गतिविधियों में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सरकार यह भी सुनिश्चित करने के लिए नए नियामकीय दिशा-निर्देशों पर काम कर रही है कि सभी OTT प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की गुणवत्ता, नैतिकता और वैधानिकता की नियमित समीक्षा हो।
इस फैसले पर आम लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। एक वर्ग ने सरकार की इस कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि इंटरनेट पर बच्चों और किशोरों की पहुंच को सुरक्षित बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे 'सेंसरशिप' करार देते हुए रचनात्मक स्वतंत्रता में दखल बताया है।
OTT माध्यम भारत में मनोरंजन का तेजी से बढ़ता हुआ प्लेटफॉर्म है, लेकिन इस क्षेत्र में नैतिक नियंत्रण और संतुलन बनाए रखना भी अत्यावश्यक है। केंद्र सरकार की यह कार्रवाई डिजिटल स्पेस को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। अब देखना होगा कि यह निर्णय दीर्घकालिक प्रभाव के रूप में किस तरह OTT इंडस्ट्री की दिशा तय करता है।