Sun, 10 Aug 2025 10:24:25 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम में जल्द ही एक अनूठा और ऐतिहासिक आकर्षण जुड़ने जा रहा है। धाम के प्रस्तावित संग्रहालय में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान मिशन की विशेष प्रतिकृति प्रदर्शित की जाएगी। इसमें ‘शिवशक्ति पॉइंट’ का मूवमेंट भी श्रद्धालु प्रत्यक्ष रूप से देख सकेंगे, जो देश के अंतरिक्ष विज्ञान की अभूतपूर्व उपलब्धियों का प्रतीक है।
शनिवार को श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर इसरो के चंद्रयान मिशन से जुड़े 16 वैज्ञानिकों की विशेष टीम काशी विश्वनाथ धाम पहुंची। यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ के स्वर्ण शिखर को नमन किया और गर्भगृह में विधिवत दर्शन किए। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अविमुक्तेश्वर महादेव के विग्रह पर रुद्राभिषेक और जलाभिषेक संपन्न हुआ। धार्मिक अनुष्ठान के इस पावन अवसर पर वैज्ञानिकों ने मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण को चंद्रयान की विशेष प्रतिकृति भेंट की। यह प्रतिकृति धाम के संग्रहालय में स्थायी रूप से रखी जाएगी ताकि आने वाले समय में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक भारत के अंतरिक्ष अभियान के गौरवशाली क्षण को नजदीक से देख सकें।
कार्यक्रम में इसरो के ह्यूमन स्पेस सेंटर के डायरेक्टर दिनेश कुमार सिंह, मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी के डायरेक्टर पंकज किल्लेदार, यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के एसोसिएट डायरेक्टर आर. नादागौड़ा, लिक्विड प्रोपल्जन सिस्टम सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर के. शाम्बाय्य, वैज्ञानिक गुरु मूर्ती डी, अरविंद कुमार एम, संजीव कुमार, राधाकृष्ण, विनीत, आलोक कुमार झा, शशांक एस, अश्विन जी. एस., निक्की श्रीवास्तव, अजय अन्धिवाल, महेन्द्र बेहेरा और मंजुला आर शामिल रहे। इन सभी वैज्ञानिकों ने मिशन की सफलता के पीछे अपनी अहम भूमिका निभाई है।
धाम प्रशासन के अनुसार, संग्रहालय में यह प्रतिकृति न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का परिचय कराएगी, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को भी तकनीकी विकास से जोड़ते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी। श्रद्धालु यहां शिवशक्ति पॉइंट के मूवमेंट को एक इंटरएक्टिव और विजुअल अनुभव के रूप में देख सकेंगे, जो चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग से जुड़ा हुआ है।
इस पहल को लेकर स्थानीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों में उत्साह का माहौल है। धाम प्रशासन का मानना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में विज्ञान और आस्था का यह संगम एक नई तरह का आकर्षण पैदा करेगा, जिससे देश के वैज्ञानिक गौरव को धार्मिक स्थल से जोड़ते हुए विश्व पटल पर भारत की छवि और मजबूत होगी।