डीडीयू मंडल ने चलाई देश की सबसे लंबी मालगाड़ी रुद्रास्त्र, 4.5 किमी लंबी है ट्रेन

पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल ने देश की सबसे लंबी 4.5 किमी मालगाड़ी ‘रुद्रास्त्र’ का सफल संचालन कर नया कीर्तिमान स्थापित किया।

Fri, 08 Aug 2025 13:25:27 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

चंदौली: पूर्व मध्य रेल के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल (डीडीयू मंडल) ने भारतीय रेलवे के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए देश की अब तक की सबसे लंबी मालगाड़ी ‘रुद्रास्त्र’ का सफल संचालन किया है। 4.5 किलोमीटर लंबी इस सुपर लॉन्ग मालगाड़ी को 7 अगस्त 2025 को दोपहर 2:20 बजे गंजख्वाजा स्टेशन से गढ़वा रोड के लिए रवाना किया गया। इस अनूठे प्रयास में छह खाली बॉक्सन रेक को जोड़कर कुल 354 वैगन और सात शक्तिशाली इंजन लगाए गए, जिससे ‘रुद्रास्त्र’ ने अपनी यात्रा की शुरुआत डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) से की और आगे भारतीय रेल के सामान्य ट्रैक पर गति पकड़ते हुए गंतव्य की ओर बढ़ी।

‘रुद्रास्त्र’ का संचालन न केवल एक तकनीकी और परिचालन उपलब्धि है, बल्कि यह रेलवे की प्रबंधन दक्षता, संसाधनों के अधिकतम उपयोग और नवाचार की क्षमता का भी सशक्त प्रमाण है। आमतौर पर इस तरह के रेक अलग-अलग चलाए जाते हैं, लेकिन डीडीयू मंडल ने पहली बार इन्हें एक साथ जोड़कर परिचालन किया, जिससे समय की बचत, मार्ग की अधिकतम उपयोगिता और चालक दल व संसाधनों पर बोझ में कमी आई। यह पहल भविष्य में रेलवे की कार्यप्रणाली को अधिक तेज, किफायती और पर्यावरण हितैषी बनाने में सहायक होगी।

डीडीयू मंडल लंबे समय से भारतीय रेलवे के माल परिवहन नेटवर्क में एक अहम भूमिका निभा रहा है, विशेष रूप से धनबाद मंडल को कोयला और अन्य आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई में। यहां से खाली मालगाड़ियों को निर्धारित मानकों के तहत जांच और मरम्मत के बाद समय पर भेजा जाता है। ‘रुद्रास्त्र’ का सफल संचालन इस बात का प्रमाण है कि डीडीयू मंडल केवल पारंपरिक ढर्रे पर नहीं चलता, बल्कि नई तकनीकों और प्रयोगों को अपनाकर भविष्य की जरूरतों के अनुसार खुद को ढाल रहा है।

इस विशेष मालगाड़ी की लंबाई 4.5 किलोमीटर, छह बॉक्सन रेक, 354 वैगन और सात इंजन इसकी ताकत को दर्शाते हैं। गंजख्वाजा स्टेशन से गढ़वा रोड तक सोननगर मार्ग से संचालित यह ट्रेन न केवल अधिक मात्रा में माल एक साथ ढोने में सक्षम है, बल्कि रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट को घटाने में भी मदद करेगी। एक साथ अधिक भार ले जाने से ट्रैक पर ट्रेनों की संख्या घटेगी, जिससे ऊर्जा खपत और परिचालन लागत दोनों में कमी आएगी।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ‘रुद्रास्त्र’ जैसे प्रयोग भविष्य में रेलवे के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। यह न केवल देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देगा, बल्कि माल ढुलाई क्षेत्र में भारतीय रेलवे की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को भी मजबूत करेगा। इस पहल से यह संदेश स्पष्ट है कि भारतीय रेलवे अब केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार और दक्षता का एक आधुनिक उदाहरण बन चुका है।

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