वाराणसी: इस बार देव दीपावली पर 10 लाख से अधिक दीपों से जगमग होंगे घाट, भव्य तैयारियां शुरू

वाराणसी में देव दीपावली को प्रांतीय मेला घोषित, 5 नवंबर को 10 लाख से अधिक दीपों से गंगा घाट होंगे रोशन, एक लाख गोबर दीप भी जलेंगे।

Tue, 23 Sep 2025 11:33:45 - By : Garima Mishra

वाराणसी: विश्वविख्यात देव दीपावली को इस बार और भी भव्य स्वरूप देने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसे प्रांतीय मेला घोषित किया गया है और 5 नवंबर को मनाए जाने वाले इस पर्व पर काशी के घाट 10 लाख से अधिक दीपों से रोशन होंगे। इस वर्ष विशेष पहल के रूप में लगभग एक लाख दीप गाय के गोबर से तैयार किए गए हैं, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

देव दीपावली के अवसर पर जब गंगा के अर्धचंद्राकार घाट दीपों की माला पहनेंगे, तब काशी की अद्भुत और अलौकिक छटा दुनिया के सामने आएगी। हर साल की तरह इस बार भी देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक इस अनोखे दृश्य को देखने के लिए वाराणसी पहुंचेंगे। घाटों की रोशनी के साथ लेजर शो और ग्रीन आतिशबाजी का आयोजन भी होगा, जिससे यह पर्व और आकर्षक हो जाएगा।

योगी सरकार और जनसहभागिता के सहयोग से इस आयोजन को ऐतिहासिक रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार ने जानकारी दी कि इस बार 10.10 लाख दीप गंगा घाटों को रोशन करेंगे, जिनमें डिजाइनर दीप भी शामिल होंगे। घाटों की विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा और ऐतिहासिक घाटों को फसाड लाइट और इलेक्ट्रिक लाइट से सजाया जाएगा।

देव दीपावली से पहले 1 नवंबर से 4 नवंबर तक राजघाट पर गंगा महोत्सव का आयोजन होगा। इसमें स्थानीय कलाकारों को मंच मिलेगा और काशी की सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया जाएगा। चेत सिंह घाट पर लेजर शो के माध्यम से काशी से जुड़ी धार्मिक कथाएं दिखाई जाएंगी, वहीं गंगा पार रेत पर प्रदूषण रहित ग्रीन आतिशबाजी की जाएगी। इससे उत्सव का आनंद और बढ़ेगा और साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी जाएगा।

देव दीपावली का महत्व केवल धार्मिक और सांस्कृतिक नहीं है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से भी काशी को समृद्ध करता है। इस अवसर पर होटल, गेस्ट हाउस, नाव, क्रूज और बाजरे की बुकिंग पहले से ही पूरी हो जाती है। नाविकों और स्थानीय व्यापारियों के लिए भी यह पर्व बड़े अवसर लेकर आता है।

हर वर्ष देव दीपावली न केवल काशी की परंपरा और आस्था का प्रतीक बनती है, बल्कि यह पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की झलक भी दिखाती है। इस बार भव्यता और पर्यावरण संरक्षण दोनों को जोड़ने की योजना ने इस आयोजन को और विशेष बना दिया है।

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