Thu, 06 Nov 2025 14:39:36 - By : Trishikha pal
हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री और मार्कशीट मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को देशभर में बड़ी कार्रवाई की। जांच एजेंसी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के 16 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की, जिससे मेडिकल, इंजीनियरिंग और एमबीए जैसी डिग्रियों की फर्जी बिक्री का एक बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ। इस कार्रवाई के बाद मोनाड यूनिवर्सिटी से पढ़े छात्र अपनी डिग्री की वैधता को लेकर चिंता में हैं।
ईडी की जांच में सामने आया है कि मोनाड यूनिवर्सिटी से जुड़े कई कॉलेज और शिक्षण संस्थान भी इस रैकेट का हिस्सा थे। इसी क्रम में उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के गोमतीनगर स्थित सरस्वती कॉलेज के प्रिंसिपल अखिलेश मौर्य के आवास पर भी छापे मारे गए। गाजियाबाद, नोएडा और अन्य जिलों में भी ईडी की टीमें सक्रिय हैं।
उन्नाव के सोहरामऊ क्षेत्र में स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज में गुरुवार सुबह तीन गाड़ियों में पहुंची ईडी की टीम ने प्रशासनिक भवन सहित कई विभागों में जांच की। कॉलेज परिसर में केवल इमरजेंसी सेवाओं को खुला रखा गया, जबकि बाकी हिस्सों में प्रवेश रोक दिया गया। ईडी अधिकारियों ने प्राचार्य डॉ. आरएल श्रीवास्तव समेत स्टाफ के सभी मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिए और किसी को भी अपने कक्ष से बाहर न निकलने के निर्देश दिए। टीम ने कॉलेज के अकाउंटेंट और मैनेजर के कंप्यूटर जब्त किए और सभी हार्ड डिस्क व सर्वर रूम को सील कर दिया। इस दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने पूरे परिसर को घेर लिया था और किसी बाहरी व्यक्ति को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
मोनाड यूनिवर्सिटी का यह फर्जीवाड़ा पहली बार वर्ष 2023 में सामने आया था। जांच में पता चला था कि यहां फेल हुए छात्रों को 50 हजार से दो लाख रुपये तक लेकर फर्जी डिग्री और मार्कशीट दी जाती थी। इसके लिए छात्रों से वॉट्सएप पर दस्तावेज मंगवाए जाते थे और भुगतान यूपीआई या नकद के रूप में लिया जाता था। भुगतान पूरा होते ही दो दिन के भीतर डिग्री कोरियर से भेज दी जाती थी। एसटीएफ की जांच में यह खुलासा हुआ था कि पिछले पांच वर्षों में इस अवैध काम से 18 से 22 करोड़ रुपये की कमाई की गई।
एसटीएफ की कार्रवाई के दौरान विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह सहित दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें कर्मचारी सनी कश्यप, कुलदीप, विपुल चौधरी, इमरान और संदीप कुमार जैसे नाम भी शामिल थे, जो सीधे तौर पर नकली मार्कशीट और डिग्री बनाने में लगे थे। अब ईडी की जांच इस कमाई के अंतिम ठिकाने और उससे जुड़े वित्तीय नेटवर्क की ओर बढ़ रही है। आयकर विभाग भी समानांतर रूप से इस मामले में जुटा हुआ है।
मोनाड यूनिवर्सिटी का यह मामला उच्च शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। छात्रों और अभिभावकों में इस बात की चिंता है कि अगर इस तरह के रैकेट पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो शिक्षा की विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ेगा। फिलहाल ईडी की टीमें कई शहरों में जांच जारी रखे हुए हैं और आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े और नाम सामने आने की संभावना है।