Thu, 20 Nov 2025 11:00:28 - By : Garima Mishra
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर से जुड़ा वजूखाना विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट पर पहुंच गया है। कथित वजूखाने में लगे ताले पर लगाए गए कपड़े को बदलने के प्रशासनिक अनुरोध पर आज जिला जज संजीव शुक्ला की अदालत में अहम सुनवाई होगी। यह आवेदन प्रशासन की ओर से उस समय दिया गया था जब निरीक्षण के दौरान पता चला कि ताले पर लगाया गया कपड़ा जर्जर हो चुका है और उसे बदलने की आवश्यकता है।
पिछली सुनवाई में मुख्य प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने इस मांग का विरोध किया था। कमेटी का कहना था कि वजूखाना और श्रृंगार गौरी मामले से संबंधित कई मुद्दे सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और उच्च न्यायालय की सुनवाई पूरी होने तक निचली अदालत कोई नया आदेश जारी नहीं कर सकती। उनका तर्क था कि पूजा स्थल उपबंध अधिनियम 1991 से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर 2024 को यह निर्देश दिया था कि निचली अदालतें ऐसे किसी नए आदेश या मुकदमे को स्वीकार न करें जो उच्चतम अदालत की सुनवाई को प्रभावित कर सके।
अदालत ने इन दलीलों को सुनने के बाद सभी पक्षों को आज की तारीख पर उपस्थित होने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन से संबंधित सात मुकदमों की भी सुनवाई तय की गई है। यह सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि वजूखाने पर लगी सील और ताले के कपड़े को बदलने का निर्णय आगे की कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि वजूस्थल पर लगी सीलिंग का कपड़ा काफी समय से खराब हो चुका है और उसके क्षतिग्रस्त होने से विवाद और भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। उनका कहना है कि कपड़ा बदलना मात्र एक तकनीकी प्रक्रिया है लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप ही पूरा किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार द्वारा दायर आवेदन और हिंदू पक्ष की दलीलों पर सुनवाई करते हुए जिला जज ने इस मांग को सिद्धांत रूप से स्वीकार कर लिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप जिलाधिकारी वाराणसी की निगरानी में ही पूरी होगी। अदालत ने यह भी कहा कि जिलाधिकारी को इस मामले में आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है, ताकि किसी पक्ष को आपत्ति न रहे और प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से संपन्न हो।
सूत्रों के अनुसार आज की सुनवाई में सीलिंग के कपड़े को बदलने की संभावित तारीख पर फैसला हो सकता है। अदालत ने दोनों पक्षों को आम सहमति और आपत्ति दर्ज कराने के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। मुस्लिम पक्ष पहले ही कह चुका है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मुद्दों पर निचली अदालत को कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, वहीं हिंदू पक्ष इसे नियमित सुरक्षा प्रक्रिया मानते हुए कपड़ा बदलने की अनुमति चाहता है।
सुनवाई को ध्यान में रखते हुए अदालत परिसर और ज्ञानवापी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। प्रशासन का कहना है कि संवेदनशीलता को देखते हुए पूरी प्रक्रिया कानून सम्मत और शांतिपूर्ण ढंग से पूरी की जाएगी।