Wed, 17 Dec 2025 12:13:40 - By : Palak Yadav
वाराणसी के नमो घाट पर मंगलवार को उस समय हड़कंप मच गया जब देश के पहले हाइड्रोजन ईंधन से संचालित जलयान को एक काष्ठ निर्मित देशी नाव ने टक्कर मार दी। इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन जलयान को तकनीकी रूप से गंभीर क्षति पहुंची है जिसके चलते उसका संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। यह वही जलयान है जिसका हाल ही में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नमो घाट से हरी झंडी दिखाकर वाणिज्यिक संचालन शुरू कराया था। हादसे के बाद प्रशासन और संबंधित एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और पूरे मामले की जांच की तैयारी की जा रही है।
हाइड्रोजन जलयान का संचालन करने वाली कंपनी जेएस क्लिनटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक विभूति पति तिवारी ने आदमपुरा थाने में लिखित तहरीर देकर घटना की जानकारी दी है। तहरीर में बताया गया कि यह जलयान नमो घाट से रविदास घाट के बीच पर्यटकों के लिए संचालित किया जा रहा था और प्रति यात्री आठ सौ रुपये किराया तय किया गया था। आधुनिक तकनीक और पर्यावरण अनुकूल ईंधन के कारण पर्यटकों में इस जलयान को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा था और लगातार बुकिंग भी हो रही थी।
घटना उस समय हुई जब जलयान रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल से हाइड्रोजन ईंधन भरवाने के बाद नमो घाट स्थित जेट्टी पर ठहराव के लिए लौट रहा था। इसी दौरान एक देशी नाव ने जलयान को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि जलयान के किनारे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। सबसे गंभीर नुकसान हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग सेंसर और उसके कवर को हुआ है जिससे यह प्रणाली फिलहाल काम नहीं कर पा रही है। सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने तत्काल जलयान का संचालन रोक दिया है।
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहन जांच की जाएगी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि टक्कर लापरवाही के कारण हुई या इसके पीछे कोई अन्य वजह है। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने पर भी विचार किया जा रहा है। गंगा में आधुनिक जल परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में इस परियोजना को अहम माना जा रहा है इसलिए हादसे के बाद तकनीकी जांच और सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।