दिल्ली: INDIA गठबंधन का संसद से चुनाव आयोग तक मार्च, मतदाता सूची पर जताया विरोध

विपक्षी INDIA गठबंधन के सांसदों ने बिहार की मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं के विरोध में दिल्ली में चुनाव आयोग तक मार्च किया।

Mon, 11 Aug 2025 14:49:41 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली सोमवार को एक बड़े राजनीतिक प्रदर्शन की गवाह बनी, जब विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन के सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) और कथित ‘वोट चोरी’ के विरोध में संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक पैदल मार्च किया।
इस शांतिपूर्ण रैली का उद्देश्य बिहार में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं और बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम काटे जाने के आरोपों को उजागर करना था।

संसद से शुरू हुआ विरोध मार्च

मार्च की शुरुआत संसद भवन के मकर द्वार से हुई। सुबह 11:30 बजे के करीब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत, तृणमूल कांग्रेस के महुआ मोइत्रा, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, सपा सांसद डिंपल यादव और कई अन्य विपक्षी नेता एकजुट होकर पैदल निकले।
मार्च में वाम दलों और क्षेत्रीय दलों के नेता भी शामिल हुए। CPI-ML के महासचिव दिपंकर भट्टाचार्य भी दिल्ली में मौजूद थे और उन्होंने SIR को "मतों की डकैती" बताया।

दिल्ली पुलिस की रोक और टकराव

मार्च जैसे ही ट्रांसपोर्ट भवन की ओर बढ़ा, दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर बैरिकेडिंग कर प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। पुलिस का कहना था कि चुनाव आयोग ने अधिकतम 30 सांसदों के ही प्रतिनिधिमंडल को मिलने की अनुमति दी है।
इस रोक के बावजूद कई नेता आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे। इसी दौरान अखिलेश यादव ने पुलिस बैरिकेड पर छलांग लगाकर आगे जाने की कोशिश की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

नेताओं की गिरफ्तारी

स्थिति बिगड़ते ही दिल्ली पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे, संजय राउत, सागरिका घोष सहित कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया। इन्हें संसद मार्ग थाने ले जाया गया। कुछ घंटे बाद सभी नेताओं को रिहा कर दिया गया।
गिरफ्तारी के समय प्रियंका गांधी वाड्रा पुलिस वैन में नजर आईं और उन्होंने सरकार पर "कायरता और डर" का आरोप लगाया।

विपक्ष का आरोप – यह संविधान बचाने की लड़ाई

गिरफ्तारी के बाद मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा, "यह लड़ाई राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान बचाने की लड़ाई है। यह ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ की लड़ाई है। हमें साफ और पारदर्शी वोटर लिस्ट चाहिए।"

मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को चुनाव आयोग तक नहीं जाने देना चाहती,"अगर सरकार हमें आयोग तक पहुंचने नहीं देती, तो उसे आखिर डर किस बात का है? हम शांतिपूर्वक अपना पक्ष रखना चाहते थे, लेकिन आयोग ने सिर्फ 30 सांसदों को मिलने की इजाजत दी। यह अस्वीकार्य है।"

अखिलेश यादव ने भी मीडिया से कहा कि यह मामला सिर्फ बिहार का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र का है।"अगर आज हम चुप रहे, तो कल हर राज्य में यही होगा। वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मतलब सीधा लोकतंत्र पर हमला है।"

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत मतदाता सूची का अद्यतन किया जा रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और वंचित वर्ग के मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं।
CPI-ML के नेता दिपंकर भट्टाचार्य के अनुसार, SIR के दौरान आवेदन के लिए मांगे गए दस्तावेज कई गरीब परिवारों के पास नहीं हैं, जिसके कारण लाखों मतदाताओं के नाम हटने का खतरा है।

चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट किया है कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटिरहित बनाना है। आयोग का कहना है कि नाम काटने या जोड़ने के सभी फैसले तयशुदा कानूनी प्रक्रियाओं के तहत लिए जाते हैं।

राजनीतिक असर

इस प्रदर्शन ने 2025 की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है। विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी पारदर्शिता और संविधान बचाने की जंग के रूप में पेश कर रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे महज राजनीतिक नौटंकी बता रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आने वाले महीनों में बिहार ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों की राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है।

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