भारतीय नौसेना को मिला स्वदेशी मिसाइल फ्रिगेट हिमगिरि, रक्षा क्षमताओं में हुई वृद्धि

GRSE ने भारतीय नौसेना को प्रोजेक्ट 17A के तहत पहला स्वदेशी गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'हिमगिरि' सौंपा, जो आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।

Thu, 31 Jul 2025 21:12:09 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

नई दिल्ली: भारत की समुद्री शक्ति में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने भारतीय नौसेना को 'प्रोजेक्ट 17A' के तहत निर्मित पहला गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘हिमगिरि’ सौंप दिया है। यह न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करता एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है।

‘हिमगिरि’ को पूर्वी नौसैनिक कमान के चीफ स्टाफ ऑफिसर (टेक्निकल), रियर एडमिरल रवनीश सेठ द्वारा नौसेना में विधिवत रूप से शामिल किया गया। यह युद्धपोत 149 मीटर लंबा, 6,670 टन वजनी और अब तक जीआरएसई द्वारा बनाए गए 801वें पोत के रूप में दर्ज हुआ है। खास बात यह है कि इसमें से 112 पोत युद्धपोत श्रेणी के हैं, जो भारत के किसी भी शिपयार्ड द्वारा हासिल किया गया सर्वाधिक आंकड़ा है।

‘हिमगिरि’ को अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित किया गया है और यह जीआरएसई के 65 वर्षों के शिपबिल्डिंग इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत युद्धपोत है। यह युद्धपोत हवाई, सतही और पनडुब्बी विरोधी अभियानों में पूरी तरह सक्षम है और इसे डीजल इंजनों और गैस टर्बाइनों के संयोजन से संचालित किया जाता है, जो इसे ‘कॉम्बाइंड डीजल एंड गैस’ (CODAG) प्रणाली के जरिए गति और फुर्ती प्रदान करता है।

इस युद्धपोत की निर्माण लागत 21,833.36 करोड़ रुपये से अधिक है और इससे न केवल नौसेना की सामरिक क्षमताएं बढ़ी हैं, बल्कि देश के एमएसएमई क्षेत्र, स्टार्टअप्स और ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) को भी प्रत्यक्ष लाभ मिला है। युद्धपोत निर्माण की यह परियोजना रोजगार सृजन, तकनीकी नवाचार, और स्वदेशी रक्षा निर्माण इकोसिस्टम को भी मजबूती प्रदान कर रही है, जो प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की भावना के साथ पूरी तरह मेल खाती है।

‘हिमगिरि’ में विश्वस्तरीय हथियार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीकों का समावेश किया गया है। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, बराक-8 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल, अत्याधुनिक AESAR रडार प्रणाली, और परिष्कृत युद्ध प्रबंधन प्रणाली (CMS) जैसी उच्च क्षमताएं शामिल हैं। ये तकनीकें युद्धपोत को दुश्मन के हवाई, सतही एवं पनडुब्बी हमलों के प्रति प्रतिक्रिया करने में बेहद दक्ष बनाती हैं।

इसके अलावा, पोत में 225 नौसैनिकों के लिए आधुनिक आवासीय सुविधा, हेलीकॉप्टर संचालन के लिए विशेष डेक, और युद्धकालीन त्वरित निर्णय क्षमता के लिए उन्नत कमांड सेंटर की व्यवस्था भी की गई है। यह युद्धपोत लंबे समय तक समुद्र में टिके रहने, सटीक मारक क्षमता, उच्च गतिशीलता और बहु-आयामी युद्धक ऑपरेशन की दृष्टि से डिजाइन किया गया है।

‘प्रोजेक्ट 17ए’ के तहत कुल सात युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें चार का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई में और तीन का निर्माण जीआरएसई, कोलकाता में किया जा रहा है। 'हिमगिरि' इन तीन में से पहला है और इसके बाद आने वाले पोत निर्माण में इस परियोजना से मिले अनुभव और तकनीकी समझ का लाभ उठाया जाएगा।

यह युद्धपोत भारत की सामरिक गहराई और समुद्री सीमाओं की रक्षा क्षमता में भारी वृद्धि करता है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका एक निर्णायक समुद्री शक्ति के रूप में और मजबूत हो। ‘हिमगिरि’ का नौसेना में शामिल होना सिर्फ एक जहाज का जलावतरण नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति का सार्वजनिक उद्घोष है।

यह युद्धपोत भारतीय समुद्री इतिहास का नया अध्याय रचने जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक समुद्री सुरक्षा के मानचित्र पर एक और मजबूती से स्थापित करेगा।

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