वाराणसी: मृत गाय को दफनाने में प्रशासन की लापरवाही, ग्रामीणों ने निभाई मानवता

वाराणसी के कचनार गाँव में मृत गाय की लाश से फैल रही बदबू ने ग्रामीणों को किया बेहाल, प्रशासन की लापरवाही सामने आई।

Thu, 07 Aug 2025 22:54:45 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: राजातालाब विकासखंड आराजी लाइन के अंतर्गत ग्राम पंचायत कचनार (राजातालाब स्टेशन के समीप) में गुरुवार को प्रशासन की घोर लापरवाही और उदासीनता का ऐसा उदाहरण सामने आया जिसने स्थानीय निवासियों को नरकीय स्थिति में जीने पर मजबूर कर दिया। क्षेत्र में कई घंटों से पड़ी एक मृत गाय की सड़ी-गली लाश से उठती बदबू और उस पर मंडराते आवारा कुत्तों, पक्षियों के झुंड ने पूरे इलाके को भयावह बना दिया था। बावजूद इसके, जिम्मेदार विभागीय अधिकारी केवल सूचना लेकर मौन साधे बैठे रहे।

हमारे संवाददाता शुभम शर्मा ने बताया की इस मामले की शुरुआत तब हुई जब कचनार ग्राम पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता सनी पटेल ने सबसे पहले उनको इस मामले की जानकारी दी। तत्पश्चात पत्रकार ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) आराजी लाइन सुरेंद्र सिंह यादव और स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारियों को सूचना दी। बावजूद इसके, दिन भर इंतज़ार के बाद भी किसी भी अधिकारी ने मौके पर पहुँचकर आवश्यक कार्यवाही करना ज़रूरी नहीं समझा।

इस पूरे घटनाक्रम ने स्वास्थ्य व्यवस्था और स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। जहां ग्रामीण घुटन और बदबू से परेशान थे, वहीं जिम्मेदार अधिकारी अपनी आरामगाहों में बेफिक्र बने रहे। मृत पशु से उठती दुर्गंध और क्षेत्र में फैलता संक्रमण का खतरा स्थानीय निवासियों के लिए एक आपात स्थिति का रूप ले चुका था, लेकिन प्रशासनिक अमला अपनी नींद से जागने को तैयार नहीं था।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, स्थानीय ग्रामीण और अधिवक्ता आदित्य नारायण सिंह उर्फ जियुत ने आगे आकर मानवता का परिचय दिया। उन्होंने तत्काल निजी स्तर पर एक जेसीबी मशीन मंगवाकर मृत गाय को जमीन में दफन करवाया। यह कार्य उन्होंने अपने संसाधनों से करवाया, जब प्रशासन का पूरा तंत्र असहाय और लापरवाह बना रहा।

ग्रामीणों में इस घटना को लेकर गहरा रोष है। उनका कहना है कि जब स्पष्ट सूचना समय रहते अधिकारियों को दी जा चुकी थी, तो फिर कार्यवाही में इतनी लापरवाही क्यों बरती गई? यह न सिर्फ प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या आमजन की समस्याएं अब सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह गई हैं?

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि खंड विकास अधिकारी, आराजी लाइन के स्वास्थ्य अधिकारी, और अन्य संबंधित जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। लोगों का कहना है कि यदि सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय युवा इस समस्या के समाधान के लिए सामने न आते, तो यह मामला महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकता था।

यह घटना प्रशासन की कार्यशैली पर एक गहरा सवाल छोड़ गई है।क्या सरकारी अमला केवल वेतनभोगी तंत्र बनकर रह गया है, और क्या मानवता की सेवा अब केवल आम नागरिकों की जिम्मेदारी बन चुकी है?

ग्रामवासियों की मांग है कि न केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए प्रशासन एक स्पष्ट और त्वरित कार्य प्रणाली बनाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में नागरिकों को बेसहारा महसूस न करना पड़े।

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