कानपुर: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने की मांग, विधायक ने CM से की मुलाकात

विधायक सुरेन्द्र मैथानी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टीट्यूट का दर्जा देने की मांग की, जिससे चिकित्सा शिक्षा में सुधार हो सके।

Mon, 07 Jul 2025 17:44:31 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ/कानपुर: उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के उद्देश्य से कानपुर के गौरवशाली जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को लेकर एक अहम पहल सामने आई है। गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और सक्रिय विधायक माननीय श्री सुरेन्द्र मैथानी ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस मेडिकल कॉलेज को "पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टीट्यूट" का दर्जा दिया जाए। इसी क्रम में उन्होंने सोमवार को लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री आवास, 05 कालीदास मार्ग पर मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट कर एक विस्तृत मांग पत्र सौंपा। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने कॉलेज की चिकित्सा, शैक्षणिक और सामाजिक उपलब्धियों का विस्तार से उल्लेख करते हुए इसे अनुसंधान आधारित उन्नत संस्थान बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

विधायक श्री मैथानी ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज न केवल कानपुर महानगर बल्कि इसके आसपास के 16 से 17 जिलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि यह संस्थान गरीब, जरूरतमंद और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों की चिकित्सा आवश्यकताओं को अत्याधुनिक ढंग से पूरा कर रहा है। खास बात यह है कि वर्ष 2017 के बाद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की कमान संभाली, तब से इस कॉलेज में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला है। ओपीडी में जहां पहले महज 400 से 500 मरीज ही आते थे, अब प्रतिदिन 5,000 से अधिक मरीज यहां परामर्श के लिए पहुंच रहे हैं। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि जनता का विश्वास इस संस्थान पर पहले से कई गुना अधिक बढ़ा है और इसका सीधा श्रेय मुख्यमंत्री की नेतृत्व क्षमता और राज्य सरकार की स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राथमिकता को जाता है।

विधायक मैथानी ने यह भी कहा कि एक समय था जब कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन होते थे और आम लोगों में व्यापक असंतोष व्याप्त था। लेकिन बीते सात वर्षों में स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। अब यहां जटिल से जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हो रही हैं। सरकारी योजनाओं के अंतर्गत गरीब मरीजों को बिना किसी आर्थिक बोझ के इलाज की सुविधा मिल रही है, जो किसी भी निजी मेडिकल संस्थान से कम नहीं मानी जा सकती। मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं में एमआरआई, सीटी स्कैन, अत्याधुनिक ओटी (ऑपरेशन थियेटर), आईसीयू और सुपर स्पेशलिटी विभागों का विस्तार हुआ है, जिससे इसकी कार्यक्षमता कई गुना बढ़ गई है।

मांग पत्र में विधायक ने यह भी सुझाव दिया कि यदि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को ‘पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टीट्यूट’ का दर्जा मिल जाता है, तो इससे न केवल राज्य के चिकित्सा अनुसंधान क्षेत्र को गति मिलेगी, बल्कि बड़ी संख्या में छात्रों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी उच्चस्तरीय सुविधाएं मिल सकेंगी। इससे प्रदेश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावी विस्तार हो सकेगा। साथ ही, यह संस्थान देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा शोध केंद्रों की कतार में आ सकता है, जिससे राज्य की साख भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक श्री मैथानी की इस पहल की सराहना की और उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस महत्वपूर्ण सुझाव पर गंभीरता से विचार करेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार जनता को सस्ती, सुलभ और उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसे संस्थानों के विकास की दिशा में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

विधायक की यह पहल न केवल कानपुर और आस-पास के जिलों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए भी एक नई दिशा का संकेत देती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को अनुसंधान आधारित संस्थान का दर्जा मिलने से प्रदेश को एक मजबूत चिकित्सा और शैक्षणिक आधार मिलेगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए चिकित्सा क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और सेवा का केंद्र बन सकता है।

जनता में भी इस मांग को लेकर व्यापक समर्थन देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् मानते हैं कि इस दिशा में यदि राज्य सरकार ठोस कदम उठाती है, तो उत्तर भारत में चिकित्सा शोध और उच्च शिक्षा के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा। ऐसी पहलें ही राज्य को ‘नए उत्तर प्रदेश’ की संकल्पना के निकट ले जाती हैं, जहां जनकल्याण सर्वोपरि है और हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

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