Tue, 30 Dec 2025 13:28:06 - By : Palak Yadav
नए साल के स्वागत के लिए देश भर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं का रुझान अब गोवा और मनाली जैसे पारंपरिक पर्यटन स्थलों से हटकर आस्था की नगरी काशी की ओर तेजी से बढ़ा है। नववर्ष से पहले बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ प्रचंड रूप में उमड़ रही है। सोमवार को दोपहर तक एक लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके थे, जिससे यह साफ संकेत मिल गया है कि काशी अब देश का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बनकर उभर चुकी है।
क्रिसमस और वर्षांत की छुट्टियों के चलते इन दिनों प्रतिदिन चार लाख से अधिक श्रद्धालु काशी पहुंच रहे हैं। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ साथ मां गंगा में पुण्य स्नान कर श्रद्धालु बीते वर्ष को विदाई और नए वर्ष के मंगलमय होने की कामना कर रहे हैं। काशी की संकरी गलियों से लेकर गंगा घाटों और बाबा के धाम परिसर तक भक्तों का सैलाब दिखाई दे रहा है। ठंड और शीतलहर के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं है और हर मंदिर व घाट पर भारी भीड़ देखी जा रही है।
सोमवार को भीड़ में हल्की कमी जरूर दर्ज की गई और शाम छह बजे तक करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। अनुमान है कि शयन आरती तक यह संख्या कुछ और बढ़ी होगी। गंगा में नौकायन की होड़ के चलते जलमार्ग पर देवदीपावली जैसे हालात बन गए हैं और कई स्थानों पर नावों की आवाजाही के कारण अस्थायी जाम की स्थिति भी देखी गई।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम प्रशासन ने तीन जनवरी तक स्पर्श दर्शन पर रोक लगा दी है। फिलहाल भक्तों को झांकी दर्शन कराए जा रहे हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए महाकुंभ और सावन की तर्ज पर विशेष व्यवस्था लागू कर दी गई है। पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और सुरक्षा व्यवस्था को लगातार मजबूत किया जा रहा है। वर्षांत से ठीक पहले की इस स्थिति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि नववर्ष के दिन श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी तक पहुंच सकती है।
गंगा घाट से लेकर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम तक श्रद्धालुओं और पर्यटकों का लगातार जनप्रवाह बना हुआ है। यह भीड़ केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं बल्कि काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का भी जीवंत उदाहरण है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रवेश मार्गों पर कतार व्यवस्था लागू की है और घाटों पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। गंगा में नावों की संख्या भी बढ़ाई गई है ताकि श्रद्धालुओं को आवागमन में कठिनाई न हो।
नववर्ष के आगमन के साथ काशी में श्रद्धालुओं की यह बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि आस्था और संस्कृति के केंद्र के रूप में काशी की वैश्विक पहचान और मजबूत हो रही है। आने वाले दिनों में यह धार्मिक उत्सव और भी व्यापक रूप ले सकता है, ऐसे में मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ गई है ताकि हर श्रद्धालु को सुरक्षित और सुखद अनुभव मिल सके।