Tue, 09 Dec 2025 17:54:23 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शहर के प्रतिष्ठित काशीविद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर में मंगलवार दोपहर अचानक उस समय हड़कंप मच गया, जब एलएलएम के एक छात्र ने आरोप लगाया कि तीन पूर्व छात्र उसके ऊपर पिस्टल तानकर धमकाने लगे। घटनास्थल आचार्य नरेंद्र देव हॉस्टल के बाहर का था, जहां कुछ ही क्षणों में माहौल तनावपूर्ण हो गया और दर्जनों छात्र इकट्ठा हो गए। आरोप है कि पूर्व छात्रों ने न केवल हथियार दिखाया बल्कि तमंचे को हवा में लहराकर दहशत फैलाने की भी कोशिश की।
घटना की सूचना मिलते ही सिगरा पुलिस तत्काल विश्वविद्यालय परिसर में पहुंची, लेकिन आरोपित पुलिस को देखते ही हॉस्टल की ओर भाग निकले। इस दौरान हल्की झड़प और भगदड़ जैसी स्थिति भी बनी, जिससे कुछ देर तक परिसर में अफरा-तफरी का माहौल छाया रहा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों को मौके पर भेजा, जो वर्तमान में हॉस्टल के अंदर जांच-पड़ताल कर रहे हैं।
पीड़ित छात्र गौरव कुमार पटेल, जो विश्वविद्यालय में एलएलएम का छात्र है, ने पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन को बताया कि वह दोपहर अपने दोस्तों के साथ नरेंद्र देव हॉस्टल के निकट स्टैंड पर बैठा था। तभी तीन युवक वहां पहुंचे और सीधे उस पर पिस्टल तान दी। गौरव के अनुसार, "वे गाली देते हुए बोले– ‘का कहा रे?’ और फायर करने की कोशिश की, लेकिन गोली मिस हो गई।"
गौरव ने आरोप लगाया कि जिन तीन लोगों ने उसे धमकाया, उनमें मोनू सिंह, आलोक उपाध्याय और अंकित दुबे शामिल हैं, जो विश्वविद्यालय से एलएलबी पास आउट हैं। उसने बताया कि एक जूनियर के नाते उसने उनसे शांत रहने और पूछने की कोशिश भी की कि ऐसा क्यों किया जा रहा है, लेकिन आरोपी सुनने को तैयार नहीं थे। गौरव के मुताबिक जब उसने कारण पूछा तो आरोपियों ने कहा कि “शिवम तिवारी ने भेजा है”, जिसके बाद वहां और छात्र इकट्ठा होने लगे और तीनों आरोपी मौके से भाग निकले।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई और सिगरा थाना प्रभारी संजय मिश्रा भारी पुलिस बल के साथ विश्वविद्यालय में पहुंचे। पुलिस और प्रॉक्टोरियल टीम की संयुक्त कार्रवाई में हॉस्टल में छापेमारी जारी है, ताकि आरोपियों का पता लगाया जा सके और यह भी स्पष्ट हो सके कि परिसर के भीतर हथियार कैसे लाए गए।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और परिसर की सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। घटना के बाद काशी विद्यापीठ में छात्रों में भय और आक्रोश दोनों की स्थिति देखी जा रही है।
यह पूरा प्रकरण न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि शैक्षणिक संस्थानों में असामाजिक तत्वों की रोकथाम के लिए और कितने सख्त कदम उठाए जाने की ज़रूरत है।