Tue, 19 Aug 2025 13:46:41 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी और नवाबों की नगरी लखनऊ में आज मंगलवार को 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने बड़ा प्रदर्शन किया। नाराज अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर जमकर नारेबाजी की और सड़क पर धरने पर बैठ गए। अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण आरक्षित वर्ग के हजारों उम्मीदवारों को न्याय नहीं मिल पाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर इस मामले में ठोस कदम नहीं उठा रही, जिससे युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
डिप्टी सीएम के घर के बाहर जुटे प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने "केशव चाचा न्याय करो" जैसे नारे लगाकर सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की। प्रदर्शन की सूचना मिलते ही मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया ताकि स्थिति नियंत्रण में बनी रहे और किसी तरह की अप्रिय घटना न हो। हालांकि, पुलिस की मौजूदगी के बावजूद अभ्यर्थी अपने स्थान से हटने को तैयार नहीं हुए और देर तक नारेबाजी करते रहे।
अभ्यर्थियों का कहना है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती का मामला लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन है। हाईकोर्ट में विस्तृत सुनवाई के बाद जब फैसला उनके पक्ष में आया तो उन्हें उम्मीद बंधी थी कि अब न्याय मिलेगा। लेकिन, उनका आरोप है कि सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख रही, जिससे भर्ती की प्रक्रिया लगातार अटकती जा रही है।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष केवल नियुक्ति के लिए नहीं है, बल्कि उस न्याय की लड़ाई के लिए है जो उन्हें वर्षों से मिलना चाहिए था। उनका कहना है कि वे लंबे समय से तैयारी करके इस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे और अब प्रशासनिक लापरवाही के चलते वे अवसर से वंचित हो रहे हैं।
सरकारी नौकरियों को लेकर उत्तर प्रदेश में समय-समय पर विवाद और विरोध प्रदर्शन सामने आते रहे हैं। लेकिन इस बार मामला बड़े पैमाने पर अभ्यर्थियों के आक्रोश से जुड़ा हुआ है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाया तो वे आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे।
फिलहाल, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को समझाने-बुझाने में लगे हुए हैं, लेकिन अभ्यर्थी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस विवादास्पद भर्ती मामले में आगे क्या कदम उठाती है, क्योंकि हजारों युवाओं की निगाहें इसी फैसले पर टिकी हुई हैं।