Sat, 08 Nov 2025 12:49:43 - By : Yash Agrawal
लखनऊ: इंसानियत और चिकित्सा का अद्भुत उदाहरण सामने आया है। SGPGI की डॉक्टरों की टीम ने सिर्फ 23 मिनट में 9 किलोमीटर की दूरी तय कर एक युवक की जान बचाई। यह मिशन आधी रात को शुरू हुआ जब डॉक्टरों की टीम SGPGI से कमांड हॉस्पिटल पहुंची और वहां एक ब्रेन डेड महिला से किडनी निकालकर वापस संस्थान लाई। इसके बाद डॉक्टरों ने 32 वर्षीय मरीज में किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे नया जीवन दिया।
विशेष बात यह रही कि इस पूरे अभियान में न तो पुलिस की सहायता ली गई और न ही किसी ग्रीन कॉरिडोर की आवश्यकता पड़ी। ट्रैफिक सामान्य था, जिससे डॉक्टरों की टीम समय से SGPGI लौटने में सफल रही।
जानकारी के अनुसार, कमांड हॉस्पिटल में 56 वर्षीय महिला को गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी के चलते भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद ऑर्गन डोनेशन टीम ने परिजनों को अंगदान के लिए तैयार किया। महिला के पूर्व सैनिक पति और अन्य रिश्तेदारों ने सहमति दी, जिसके बाद दोनों किडनी दान करने का निर्णय लिया गया।
एक किडनी वहीं कमांड हॉस्पिटल में एक मरीज को दी गई, जबकि दूसरी किडनी SGPGI भेजी गई। संस्थान में भर्ती 31 वर्षीय युवक लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहा था। SGPGI के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि शुक्रवार तड़के करीब ढाई बजे डॉक्टरों की टीम कमांड हॉस्पिटल के लिए रवाना हुई थी। वहां किडनी निकालने के बाद 4 बजकर 35 मिनट पर टीम SGPGI के लिए निकली और सुबह पांच बजे से पहले वहां पहुंच गई।
ऑपरेशन के बाद ट्रांसप्लांट टीम ने किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक पूरा किया। प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बताया कि सर्जरी पूरी तरह सफल रही और मरीज का यूरिन आउटपुट सामान्य है। उन्होंने कहा कि कमांड हॉस्पिटल और SGPGI की संयुक्त टीम ने समय और समर्पण से यह मिशन पूरा किया।
प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने कहा कि अगर ब्रेन डेड मरीजों के परिजन अंगदान के लिए आगे आते रहें, तो कई लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है। उन्होंने इसे मानवता का सबसे बड़ा उपहार बताया।
SGPGI की टीम में प्रोफेसर एमएस अंसारी, प्रोफेसर संजय सुरेखा, प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह, नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर नारायण प्रसाद, एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर रवि शंकर कुशवाहा और प्रोफेसर तपस शामिल रहे।