Fri, 28 Nov 2025 14:36:30 - By : SUNAINA TIWARI
सरकारी स्कूलों में कार्यरत बीएड डिग्री वाले शिक्षकों के लिए अब प्राइमरी टीचर एजुकेशन का छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स अनिवार्य कर दिया गया है। इस कोर्स के लिए एनआईओएस ने रजिस्ट्रेशन पोर्टल लांच कर दिया है जो 25 दिसंबर तक खुला रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर एनसीटीई ने इस कोर्स का मॉड्यूल तैयार किया है। अदालत ने स्पष्ट कहा था कि प्राथमिक विद्यालयों में बीएड योग्यता वाले शिक्षक सीधे बहाल नहीं किए जा सकते, हालांकि कई राज्यों में पहले से ही बीएड शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी थी। इसी स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के हित में ब्रिज कोर्स का सुझाव दिया ताकि नियुक्त शिक्षकों को प्राइमरी स्तर के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा सके। इस फैसले के बाद एनसीटीई ने कोर्स की संरचना तैयार की और कोर्स कराने की जिम्मेदारी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग को दी गई। एनआईओएस द्वारा आयोजित अपने 36वें स्थापना दिवस समारोह में इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत की गई। शिक्षकों में इस कोर्स को लेकर उत्सुकता भी देखी जा रही है क्योंकि इसे पूरा करने के बाद वे अपनी नियुक्ति को मजबूत आधार प्रदान कर सकेंगे।
इसी बीच राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक शिक्षा से जुड़े एक महत्वपूर्ण बदलाव पर भी काम शुरू हो गया है। सभी विश्वविद्यालय जल्द ही सेमेस्टर प्रणाली में संचालित स्नातक कोर्सों के लिए इंटर्नशिप पॉलिसी लागू करेंगे। नई शिक्षा संरचना के अनुसार स्नातक पाठ्यक्रम में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप अनिवार्य की गई है और इसके लिए चार क्रेडिट निर्धारित किए गए हैं। विश्वविद्यालयों को अब इंटर्नशिप की पूरी प्रक्रिया, मूल्यांकन पद्धति, समय सीमा और इंटर्नशिप प्रदाताओं की सूची तैयार करनी होगी। यह इंटर्नशिप ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में की जा सकेगी जिसके तहत विद्यार्थियों को उद्योगों, विभिन्न एनजीओ और सरकारी संस्थाओं में इंटर्नशिप के अवसर प्राप्त होंगे। इस पहल के तहत नीति आयोग में भी इंटर्नशिप का अवसर उपलब्ध होगा जिसे विद्यार्थी अपने करियर विकास के लिए लाभकारी मान रहे हैं। इंटर्नशिप के दौरान विद्यार्थियों की मेंटरिंग की जाएगी और निर्धारित अवधि के बाद उनके कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा। इंटर्नशिप की अंतिम प्रक्रिया प्रेजेंटेशन के साथ पूरी होगी।
झंझारपुर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर नारायण झा ने बताया कि उच्च शिक्षा निदेशालय इंटर्नशिप पॉलिसी को लेकर काफी गंभीर है। उनका कहना है कि इस पॉलिसी के लागू होने के बाद विद्यार्थियों को वास्तविक कार्य अनुभव मिलेगा और इससे उनकी रोजगार क्षमता में भी वृद्धि होगी। विश्वविद्यालयों में अकादमिक गतिविधियों और उद्योगों से जुड़ाव का दायरा भी बढ़ेगा। शिक्षा जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव उच्च शिक्षा में व्यावहारिकता को मजबूत करेगा और विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर रूप से तैयार करेगा।