Mon, 01 Sep 2025 12:43:22 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
मिर्जापुर: कटरा पुलिस ने शनिवार की देर रात जिले में सक्रिय एक असलहा तस्करी गैंग का बड़ा खुलासा किया है। ग्यारह तखवा नाला पुलिया के पास पुलिस ने बुलेट सवार दो आरोपियों को दबोचा और उनकी निशानदेही पर चार अन्य तस्करों को भी गिरफ्तार किया। पुलिस ने इनके कब्जे से पिस्टल, तमंचा और कारतूस बरामद किए हैं। रविवार को पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान एएसपी सिटी नितेश सिंह ने पूरे मामले का खुलासा किया।
कटरा थानाध्यक्ष वैद्यनाथ सिंह ने बताया कि शनिवार की रात गश्त के दौरान अर्जुनपुर कोतवाली देहात निवासी संदीप और अरविंद कुमार बिंद को पकड़ा गया। दोनों के पास से एक पिस्टल, दो तमंचे और तीन जिंदा कारतूस बरामद किए गए। जब पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो गैंग में शामिल अन्य तस्करों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
उनकी निशानदेही पर पुलिस ने चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनमें अर्जुनपुर नैपुरवा निवासी देव प्रकाश उर्फ आशीष बिंद, कादीपुर वाराणसी निवासी आशीष कुमार बिंद, खरहरा कोतवाली देहात निवासी प्रदीप उर्फ खेसारी और सहदईया बैडाड़ थाना कर्मा जिला सोनभद्र निवासी सूरज बिंद शामिल हैं। इनके पास से भी दो पिस्टल, दो तमंचे और चार कारतूस बरामद किए गए। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
एएसपी सिटी नितेश सिंह ने बताया कि गिरफ्तार छह लोगों में से संदीप और अरविंद मुख्य तस्कर हैं। ये लोग बिहार के मुंगेर और मध्य प्रदेश के मुरैना व ग्वालियर से असलहा मंगवाकर उन्हें ऊंचे दामों में बेचते थे। पिस्टल 20 से 30 हजार रुपये में खरीदकर 80 हजार से एक लाख रुपये तक में बेची जाती थी। संदीप इस गैंग का सरगना है, जिसने करीब तीन साल पहले यह धंधा शुरू किया था और असलहा बेचकर ही बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी थी।
जांच में सामने आया है कि सूरज ने भूमि विवाद में अपने पटिदार को धमकाने और जान से मारने के लिए पिस्टल खरीदी थी। वहीं संदीप, अरविंद और देव प्रकाश जैसे आरोपी बीए पास हैं, जबकि सूरज दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता था। असलहा बेचने के साथ ही ये आरोपी सोशल मीडिया पर हथियार लहराकर रील भी बनाते थे, जिससे इलाके में दबदबा कायम कर सकें।
पुलिस के अनुसार गैंग का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा था। संदीप और अरविंद के साथ मिलकर सूरज ने तस्करी का कारोबार फैलाया और धीरे-धीरे देव प्रकाश, आशीष व प्रदीप को कमीशन पर हथियार बेचने के लिए जोड़ा गया। इनका मकसद केवल तस्करी नहीं बल्कि इलाके में दहशत फैलाना भी था।
दिलचस्प तथ्य यह भी है कि संदीप द्वारा बेचे गए असलहों का इस्तेमाल पहले भी अन्य अपराधियों ने किया था। वाराणसी पुलिस ने जून महीने में दो आरोपियों गाजीपुर निवासी सुधांशु और रेहान को पकड़ा था, जिन्होंने संदीप से ही पिस्टल खरीदी थी। पूछताछ में खुद संदीप ने इस बात को स्वीकार भी किया।
पुलिस का मानना है कि इन गिरफ्तारियों से जिले में सक्रिय असलहा तस्करी नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। हालांकि इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि गैंग के और भी सदस्य बाहर सक्रिय हो सकते हैं। फिलहाल पुलिस टीम इनके पुराने संपर्कों और सप्लाई चैन की कड़ी जांच कर रही है, ताकि इस अवैध कारोबार की जड़ तक पहुंचा जा सके।