Sat, 14 Jun 2025 13:44:22 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी एक बार फिर भक्ति की अखंड ज्योति से आलोकित हो उठी है। अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा के साक्षी बनते हुए, विश्वविख्यात संत और रामकथा मर्मज्ञ मुरारी बापू शनिवार को बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में श्रद्धाभाव से उपस्थित हुए। इस पावन अवसर पर उन्होंने विधिविधान से बाबा का पूजन-अर्चन किया और काशीवासियों के साथ ही देश-विदेश से आए रामभक्तों के कल्याण की कामना की।
संत मुरारी बापू की 958वीं रामकथा का भव्य आयोजन काशी में सिगरा स्थित अत्याधुनिक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आरंभ हुआ। यह रामकथा ‘मानस सिंदूर’ शीर्षक से जानी जाएगी, जो 14 जून से 22 जून तक प्रतिदिन सुबह 10 बजे से गूंजेगी। आज यानी शनिवार को शाम 4 बजे इस कथा का शुभारंभ होगा। यह कथा, हाल ही में चर्चा में रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' से प्रेरणा लेकर देश के वीर सपूतों और मातृभूमि को समर्पित की गई है।
संत मुरारी बापू, जिन्हें तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस के ज्ञाता और प्रेममय वक्ता के रूप में विश्वभर में श्रद्धा के साथ सुना जाता है, न केवल रामकथा को आध्यात्मिक रूप से प्रस्तुत करते हैं, बल्कि अपने भाषणों में भारतीय संस्कृति, समाज और परंपराओं का भी संतुलित और मार्मिक चित्रण करते हैं। बापू का कहना है कि "रामकथा केवल कथा नहीं, यह आत्मा की यात्रा है, जहां मानस का हर चौपाई सिंदूर बनकर जीवन को उज्ज्वल करता है।"
कथा का आयोजन सेठ दीनदयाल जालान सेवा ट्रस्ट के सौजन्य से किया जा रहा है, जिसमें आयोजकों ने भक्तों की सेवा के लिए हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई है। कथा स्थल पर 'प्रभु प्रसाद' नाम से एक विशाल खुला भंडारा रोज़ाना संचालित किया जाएगा, जहां भक्तगण निशुल्क प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे।
यह भी उल्लेखनीय है कि यह कथा यूट्यूब के माध्यम से 170 देशों में सजीव प्रसारित की जा रही है, जिससे भारत के बाहर बसे रामभक्त भी इस दिव्य आयोजन से जुड़ सकें।
कथा में देश के कोने-कोने से और विदेशों से हजारों श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक संगम है, जो समय और सीमाओं से परे जाकर मानवता को रामकथा के रंग में रंगने का कार्य कर रहा है।
काशी, जो स्वयं भगवान शिव की नगरी है, जहां मोक्षदायिनी गंगा बहती है, जहां हर पत्थर में अध्यात्म बसा है, वहां रामकथा का स्वर गूंजना कोई साधारण बात नहीं। इस पवित्र धाम में जब संत मुरारी बापू अपने दिव्य वचनों से रामकथा का अमृत बरसाते हैं, तो ऐसा लगता है मानो स्वयं शिव भी ध्यानमग्न होकर श्रीराम के गुणों का श्रवण कर रहे हों।
इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि काशी न केवल भारत की सांस्कृतिक राजधानी है, बल्कि यह भक्ति, अध्यात्म और सनातन परंपरा की अक्षुण्ण धरा है, जहां से निकलने वाली हर आध्यात्मिक ध्वनि पूरे विश्व को दिशा देती है।
सच्चे अर्थों में, यह आयोजन उस भक्ति की पुनःस्थापना है, जो आत्मा को निर्भय, निष्कलंक और निर्मल बना देती है। जब तक काशी में रामकथा गूंजती रहेगी, तब तक धर्म, करुणा और प्रेम की ज्योति अखंड जलती रहेगी।