Sat, 06 Dec 2025 11:57:39 - By : Tanishka upadhyay
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने प्रतिबंधित माझा के उत्पादन, बिक्री और उपयोग को लेकर गहरी चिंता जताई है और इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार तथा स्थानीय प्रशासन से विस्तृत जवाब तलब किया है। वाराणसी में 24 वर्षीय विवेक शर्मा की दर्दनाक मौत के बाद यह मुद्दा एक बार फिर गंभीर चर्चा में आया है। युवक की गर्दन पर प्रतिबंधित माझा गले में फंस गया था। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इसी घटना को आधार बनाकर उसकी मां श्यामलता देवी ने एनजीटी में याचिका दायर की थी।
अधिकरण ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, वाराणसी के जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त से यह स्पष्ट करने को कहा है कि प्रतिबंधित माझा पर रोक को प्रभावी बनाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही मुआवजे के संबंध में अब तक क्या कार्रवाई की गई है, इस पर भी शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। सरकार की ओर से चार सप्ताह का समय मांगा गया, जिसके बाद एनजीटी ने अगली सुनवाई 18 फरवरी तय कर दी है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिबंधित माझा पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद इसकी बिक्री और उपयोग रोकने में प्रशासन नाकाम रहा है। उन्होंने कहा कि उचित कार्रवाई न होने के कारण ही उनके बेटे की जान गई। अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से दाखिल याचिका में सरकार और पुलिस की लापरवाही को घटना का मुख्य कारण बताया गया है।
सुनवाई के दौरान वाराणसी पुलिस आयुक्त की ओर से सहायक पुलिस आयुक्त यातायात ने शपथपत्र देकर बताया कि चाइनीज माझा की बिक्री और भंडारण के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। तीनों की गिरफ्तारी हो चुकी है और उनके विरुद्ध चार्जशीट भी लगा दी गई है। हालांकि जिस माझा से विवेक की जान गई, उसके उपयोगकर्ताओं की पहचान नहीं की जा सकी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी अधिकरण के समक्ष शपथपत्र प्रस्तुत किया। बोर्ड ने बताया कि प्रतिबंधित माझा पर प्रभावी रोक के लिए राज्यों से रिपोर्ट मांगी गई है। अब तक 22 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपना जवाब भेज चुके हैं। बाकी राज्यों की रिपोर्ट आने का इंतजार है। बोर्ड ने इस पूरी स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है।
एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि प्रतिबंधित माझा पर नियंत्रण और कड़ा होगा। यह माझा न केवल मनुष्यों बल्कि पक्षियों के लिए भी गंभीर खतरा माना जाता है। हर वर्ष देश के कई हिस्सों में इसकी वजह से दुर्घटनाएं होती हैं। अधिकरण की सख्ती से संकेत मिलता है कि भविष्य में नियमों को सख्ती से लागू करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।