Sat, 02 Aug 2025 14:33:28 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वाराणसी के सेवापुरी क्षेत्र के बनौली गांव में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए एक बार फिर काशी की पवित्र धरती से जनसरोकार और राष्ट्रनिर्माण का संदेश दिया। जनसभा की शुरुआत उन्होंने श्रद्धाभाव से की—“नम: पार्वती पतये हर-हर महादेव”—और भोजपुरी में जनता को संबोधित करते हुए बोले, “सावन के पावन महीना में आज हमके काशी के हमरे परिवार के लोगन से मिले के अवसर मिलल हौ। हम काशी के हर परिवारजन के प्रणाम करत हई।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मंच से कुल 52 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया, जिनकी कुल लागत कई सौ करोड़ रुपये है। इसमें सबसे प्रमुख 269.10 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया फोरलेन वाराणसी-भदोही मार्ग रहा, जिससे प्रयागराज, जौनपुर, मिर्जापुर, मऊ, गाजीपुर और बलिया जैसे जिलों को आवागमन में बड़ी राहत मिलेगी। इसी क्रम में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 129.97 करोड़ रुपये की लागत से 47 ग्रामीण पेयजल योजनाओं का उद्घाटन भी हुआ।
प्रधानमंत्री ने अपने 54 मिनट के भावनात्मक लेकिन तथ्यपरक भाषण में “ऑपरेशन सिंदूर” का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि “यह अभियान महादेव और मां गंगा के आशीर्वाद से सफल हुआ है। मैंने जो वादा किया था, उसे निभाया। मेरी बहनों के सिंदूर का बदला लिया।” यह बयान उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सेना की कार्रवाई की सफलता के संदर्भ में दिया।
उन्होंने काशी में यादव बंधुओं द्वारा सावन के दौरान बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा का स्मरण किया और कहा कि यह दृश्य जितना दिव्य होता है, उतना ही अद्वितीय भी। उन्होंने बताया कि इस बार लाखों श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए और यह परंपरा काशी की सांस्कृतिक आत्मा को दर्शाती है।
इस जनसभा के माध्यम से प्रधानमंत्री ने पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त भी जारी की, जिसके अंतर्गत देशभर के 9.70 करोड़ किसानों के खाते में कुल 20,500 करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर किए गए। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि इसका लाभ वाराणसी के भी 2.21 लाख किसानों को प्राप्त हुआ है। इससे पहले 18 जून 2024 को 9.26 करोड़ किसानों को सम्मान निधि दी गई थी।
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत की भावना को प्रोत्साहित करते हुए देशवासियों से “मेड इन इंडिया” वस्तुओं को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने कहा कि वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। “हमें अपने उत्पादन और बाजार को मजबूत करना है। ‘मेड इन इंडिया’ सिर्फ नारा नहीं, राष्ट्र निर्माण की नींव है,” उन्होंने कहा।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर का उदाहरण देते हुए देश की सांस्कृतिक एकता का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह एक हजार साल पुराना शैव परंपरा का केंद्र है, जिसे महान राजा राजेंद्र चोल ने बनवाया था। उन्होंने उत्तर से गंगा जल मंगवा कर दक्षिण में स्थापित कर भारत की सांस्कृतिक एकता को सशक्त किया था। पीएम मोदी ने इस संदर्भ में काशी-तमिल संगमम की भावना को दोहराया और बताया कि इस ऐतिहासिक विरासत को आज के भारत में जीवंत बनाए रखना जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने युवाओं से जुड़ने के प्रयासों की जानकारी देते हुए काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता और सांसद रोजगार मेला जैसे आयोजनों का उल्लेख किया। उन्होंने देशभर में इस तरह की प्रतियोगिताओं के जरिए युवा भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया।
यूपी में हो रहे औद्योगिक विकास की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब यहां सेना के हथियार और मिसाइल भी बनेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के आने के बाद निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और आने वाले समय में प्रदेश में उद्योग-धंधे नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। “अब यूपी न सिर्फ धार्मिक पर्यटन का केंद्र है, बल्कि रक्षा उत्पादन और टेक्नोलॉजी का भी केंद्र बनेगा,” उन्होंने जोर देकर कहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के अंतिम चरण में विपक्ष पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस के नेता हमेशा कहते रहे कि मोदी की योजनाएं एक दिन बंद हो जाएंगी। “काशी के मालिकों से मैं पूछना चाहता हूं। क्या भाजपा की कोई योजना बंद हुई?” उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में घोटाले और बिचौलिए चलते थे, लेकिन आज बिना किसी रुकावट के लाभार्थियों के खातों में सीधे पैसे पहुंचते हैं।
अपने भावुक अंदाज में अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि सावन के इस पवित्र महीने में उनका मन करता है कि मां गंगा का जल लेकर बाबा विश्वनाथ और मार्कंडेय महादेव का जलाभिषेक करें, लेकिन सुरक्षा और भक्तों की सुविधा को देखते हुए वह स्वयं दर्शन करने से परहेज करते हैं। “मैं यहीं से बाबा विश्वनाथ, मां गंगा और मार्कंडेय बाबा को प्रणाम करता हूं,” उन्होंने कहा।
काशी की भूमि से दिए गए इस संबोधन ने न केवल भावनाओं को छुआ, बल्कि भारत के विकास की वर्तमान दिशा और भविष्य की योजनाओं को भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। देश और प्रदेश दोनों स्तरों पर प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं का प्रभाव स्पष्ट दिख रहा है, और काशी एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति और विकास के केंद्र में चमक रही है।