Fri, 21 Nov 2025 22:25:02 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दायर बयान-विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी आगे नहीं बढ़ सकी। निर्धारित तारीख पर न तो राहुल गांधी और न ही उनके वकील अदालत में उपस्थित हुए, जिसके चलते कोर्ट को सुनवाई स्थगित करनी पड़ी। विशेष न्यायाधीश (एमपी–एमएलए) यजुर्वेद विक्रम सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिया कि आगामी तारीख 18 दिसंबर को राहुल गांधी या उनके अधिवक्ता अनिवार्य रूप से उपस्थित हों, ताकि मामले पर आगे की कार्यवाही की जा सके।
मामला अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित ब्राउन यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी द्वारा कथित रूप से भगवान राम को ‘पौराणिक’ और उनसे जुड़ी कथाओं को ‘काल्पनिक’ कहने से संबंधित है। इस बयान के आधार पर वाराणसी के अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने पुनरीक्षण याचिका दायर की है। उनका दावा है कि 21 अप्रैल को बोस्टन यात्रा के दौरान ब्राउन यूनिवर्सिटी में छात्र संवाद कार्यक्रम में दिए गए इस कथन से करोड़ों हिंदू आस्थावान लोगों की भावनाएं आहत हुईं।
याचिकाकर्ता ने 12 मई को दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी निरंतर सनातन धर्म के प्रतीकों, अवतारों और परंपराओं को आहत करने वाले बयान देते रहे हैं। इस कारण समाज में असंतोष और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। पांडेय के अनुसार, यह टिप्पणी केवल राजनीतिक मतभेद का हिस्सा नहीं बल्कि सीधे तौर पर आस्था पर चोट करने वाली है।
इस मामले में अदालत सबसे पहले याचिका की मेंटेनिबिलिटी पर बहस करेगी, अर्थात यह तय किया जाएगा कि क्या मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं या नहीं। इसके बाद ही यह निर्णय होगा कि राहुल गांधी के खिलाफ औपचारिक रूप से मामला चलेगा या नहीं।
गौरतलब है कि हरिशंकर पांडेय ने पहले 17 मई को एमपी–एमएलए कोर्ट में परिवाद दायर किया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने 26 सितंबर को जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिस पर अब सुनवाई चल रही है। पांडेय ने राहुल गांधी को “राम द्रोही” तक करार देते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा राममंदिर निर्माण का विरोध किया और अब विदेश में जाकर भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाना उनकी “विचारधारा” को दर्शाता है। वकील का कहना है कि राहुल गांधी के बयान पर मुकदमा चलना चाहिए और कानूनी कार्रवाई आवश्यक है।
दूसरी ओर, ब्राउन यूनिवर्सिटी में दिए गए अपने वक्तव्य में राहुल गांधी ने यह कहा था कि भारत की महान परंपरा बुद्ध, गुरु नानक, महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की विचारधारा पर आधारित है, जो क्षमा, करुणा और समानता की सीख देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इन मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करती, बल्कि नफरत फैलाने वाली राजनीति को बढ़ावा देती है। राहुल गांधी से पूछे गए प्रश्न में हिंदू राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्ष राजनीति पर टिप्पणी मांगने पर उन्होंने यह विचार प्रस्तुत किए थे।
अब इस पूरे विवाद पर अगली महत्वपूर्ण सुनवाई 18 दिसंबर को होगी। अदालत की नजर इस पर टिकी है कि क्या राहुल गांधी या उनके वकील इस बार पेश होकर मामले को आगे बढ़ाएंगे। वाराणसी में इस मामले को लेकर राजनीतिक हलकों और स्थानीय संगठनों में भी गहमागहमी बनी हुई है, क्योंकि अदालत का अगला फैसला आगे की राजनीतिक और कानूनी तस्वीर को काफी हद तक स्पष्ट करेगा।