Wed, 18 Jun 2025 20:15:32 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर/ काशी की पावन भूमि पर स्थित रामनगर के वार्ड संख्या 65 में उस समय गहरी वेदना का माहौल बन गया, जब अंतिम यात्रा के रास्ते को ही ठहराव का रूप दे दिया गया। वर्षों से मृतकों के सम्मानजनक अंतिम संस्कार का साक्षी रहा श्मशान घाट का मुख्य मार्ग अब दलदल, कीचड़ और गड्ढों से भरकर लोगों के लिए त्रासदी बन चुका है। इसी चिंता को लेकर क्षेत्रीय पार्षद रामकुमार यादव ने नगर निगम प्रशासन के समक्ष गंभीर और सशक्त रूप से आवाज उठाई है।
एक पीड़ा जो हर घर की चिंता बन गई है
पार्षद रामकुमार यादव ने बताया कि “श्मशान घाट तक जाने वाला यह रास्ता न सिर्फ जर्जर हो चुका है, बल्कि कुछ स्थानीय किसानों द्वारा अवैध खुदाई के चलते पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है। अब शव यात्रा कंधों पर कीचड़ से होकर गुजरती है, जो ना केवल कष्टदायक है बल्कि मानवीय गरिमा के भी खिलाफ है। ये केवल एक सड़क की समस्या नहीं, ये समाज की आत्मा से जुड़ा सवाल है।”
बरसात के पहले चेतावनी की तरह उठा सवाल
पार्षद ने चेताया कि अगर बरसात के पहले इस रास्ते की मरम्मत नहीं की गई तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। उन्होंने नगर निगम के जोनल अधिकारियों से मिलकर रास्ते को तुरंत दुरुस्त करने की मांग की और साफ कहा कि यदि शीघ्र कार्य नहीं शुरू हुआ, तो जनता के साथ मिलकर आंदोलन किया जाएगा।
स्थानीय जनता भी अब हो चुकी है जागरूक
रामनगर के निवासी लंबे समय से इस समस्या को झेल रहे हैं। “हमने कई बार नगर निगम को शिकायत दी, हर बार आश्वासन मिला, लेकिन कभी काम शुरू नहीं हुआ,” एक बुजुर्ग निवासी ने कहा। अब जब पार्षद यादव ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है, तो जनता को उम्मीद है कि प्रशासन इस बार कागज़ से निकलकर धरातल पर उतरेगा।
प्रशासन हरकत में आया, जोनल अधिकारी ने किया निरीक्षण
पार्षद की पहल और मीडिया की कवरेज के बाद अब नगर निगम प्रशासन भी हरकत में आ गया है। रामनगर जोनल अधिकारी ने स्वयं मौके पर पहुंचकर रास्ते की बदहाल स्थिति का मुआयना किया और पार्षद सहित जनता को यह भरोसा दिलाया कि जल्द ही रास्ता दुरुस्त किया जाएगा। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि समस्या गंभीर है और इसका स्थायी समाधान शीघ्र निकाला जाएगा।
अब निगाहें कार्रवाई पर टिकीं
यह मुद्दा अब केवल एक मोहल्ले या वार्ड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र की मानवीय संवेदनाओं से जुड़ चुका है। जब कोई व्यक्ति अपनी अंतिम यात्रा पर निकलता है, तो उसका रास्ता सम्मानजनक हो। यही अपेक्षा है समाज की। अब जबकि जनता, जनप्रतिनिधि और प्रशासन तीनों एक मंच पर हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही रामनगर श्मशान घाट का रास्ता फिर से सम्मान और सुविधा का प्रतीक बनेगा।
यह खबर न सिर्फ एक अव्यवस्था को उजागर करती है, बल्कि बताती है कि जब प्रतिनिधि ज़मीन पर उतरते हैं, तो व्यवस्था भी जागने लगती है। अब देखना है कि आश्वासन कितनी जल्दी ज़मीन पर उतरता है और श्मशान घाट का रास्ता श्रद्धा का मार्ग बनता है या पीड़ा का।