Sat, 29 Nov 2025 23:40:20 - By : SUNAINA TIWARI
तरनतारन : शिअद नेता कंचनप्रीत कौर रंधावा से जुड़े मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर शनिवार देर रात शुरू हुई। मामला जेएमआईसी पंकज वर्मा की अदालत में उठाया गया जहां सुरक्षा व्यवस्था पहले से और अधिक कड़ी कर दी गई थी। अदालत कक्ष के बाहर पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई गई और पूरे परिसर में सतर्क माहौल बना हुआ था। देर रात की इस सुनवाई में सरकार की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल मौजूद थे, जबकि बचाव पक्ष की ओर से एडवोकेट डीएस सोबती और शिअद की तरफ से अन्य वकील भी पेश हुए। कंचनप्रीत कौर को अदालत में उपस्थित किया गया और कार्यवाही के दौरान वह स्वयं न्यायाधीश के सामने मौजूद रहीं।
अदालत में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कंचनप्रीत को पुलिस रिमांड पर भेजा जाएगा। यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि यदि पुलिस को रिमांड नहीं मिलता तो उन्हें सीधे जेल नहीं भेजा जा सकेगा और इसकी वजह से पूरी कानूनी प्रक्रिया जटिल हो सकती है। दोनों पक्षों के वकीलों के बीच बहस जारी है और सभी अपनी दलीलों को मजबूती से रख रहे हैं। सरकारी पक्ष की ओर से बार बार रिमांड की मांग की जा रही है। उनका तर्क है कि कंचनप्रीत कौर विदेश में बैठे अपने पति अमृतपाल सिंह बाठ की एसोसिएट सदस्य के रूप में कई अहम जानकारियों में शामिल रही हैं जिनकी जांच के लिए रिमांड आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कई बार दोनों पक्षों को शांत रहकर अपनी दलीलें पेश करने को कहा। बहस के बीच कंचनप्रीत कौर ने पानी मांगते हुए कुछ देर के लिए कार्यवाही को रोका। अदालत की ओर से उन्हें मिनरल पानी उपलब्ध कराया गया जिसके बाद सुनवाई फिर शुरू हुई। दूसरी ओर शिअद की तरफ से लगभग पांच वकील इस मामले की पैरवी में जुटे हुए हैं और वे अदालत में रिमांड के विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका कहना है कि कंचनप्रीत कौर के खिलाफ लगाए गए आरोपों में स्पष्ट साक्ष्य की कमी है और रिमांड की मांग केवल दबाव बनाने के उद्देश्य से की जा रही है।
अदालत कक्ष के बाहर का माहौल भी गंभीर बना हुआ है। पुलिस ने न्यायालय परिसर में आम लोगों की आवाजाही को सीमित कर दिया है और केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश दिया जा रहा है। देर रात तक चली इस सुनवाई ने पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है। अब सबकी नजर अदालत के अंतिम फैसले पर टिकी है कि कंचनप्रीत कौर को पुलिस रिमांड पर भेजा जाएगा या नहीं। निर्णय से इस मामले की आगे की दिशा तय होगी और राजनीतिक हलकों में भी इसके दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।