Sat, 06 Sep 2025 07:39:13 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में शुक्रवार को एक नया घटनाक्रम उस समय सामने आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) के काफिले पर यातायात विभाग ने कड़ी कार्रवाई की। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ओवरस्पीडिंग के मामलों में सपा की 36 गाड़ियों का चालान काटा गया है। इनमें से 9 गाड़ियां सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काफिले की थीं, जबकि 9 गाड़ियां उनकी पत्नी और मैनपुरी सांसद डिंपल यादव के काफिले की बताई गई हैं। कुल मिलाकर सपा को इन चालानों के एवज में 8,47,050 रुपये का जुर्माना भरना होगा।
अखिलेश यादव ने इस मामले की जानकारी खुद मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने चालान की पूरी राशि भरने का निर्देश अपने पार्टी कार्यालय को दे दिया है। हालांकि, इस कार्रवाई पर उन्होंने सवाल भी उठाए और भाजपा को सीधे निशाने पर लिया। अखिलेश ने कहा, "एक्सप्रेसवे के सिस्टम पर भाजपा के लोग बैठे हैं, इसलिए यह कार्रवाई की गई है। हम नियमों का सम्मान करते हैं, लेकिन समय आने पर इसका जवाब जरूर देंगे।"
इस बयान से साफ है कि अखिलेश इसे केवल यातायात नियमों का मामला नहीं मान रहे, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक मंशा देख रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिन गाड़ियों का चालान किया गया है, उनमें कई महंगी और लग्जरी कारें शामिल हैं। इनमें आईसुजु, मर्सडीज बीपी, रेंज रोवर, लैंड क्रूजर, डिफेंडर, इनोवा क्रिस्टा और फार्च्युनर जैसी गाड़ियां शामिल बताई गई हैं। चालान की राशि भी गाड़ियों के हिसाब से अलग-अलग रही। न्यूनतम 500 रुपये से लेकर एक गाड़ी पर अधिकतम 80,500 रुपये तक का चालान काटा गया है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि काफिले में मौजूद कई गाड़ियां अत्यधिक रफ्तार से चलाई जा रही थीं।
सपा के इतने बड़े काफिले पर एक साथ कार्रवाई होना यूं तो कानून व्यवस्था और यातायात नियमों की दृष्टि से सामान्य लग सकता है, लेकिन राजनीतिक संदर्भ में इसका असर गहरा है। भाजपा और सपा के बीच पहले से चल रही बयानबाजी इस घटना के बाद और तेज होने के आसार हैं। भाजपा समर्थक इस कार्रवाई को कानून के प्रति समानता का उदाहरण बता सकते हैं, जबकि सपा इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताकर जनता के बीच मुद्दा बना सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस तरह की घटनाएं अक्सर चुनावी समीकरणों को प्रभावित करती हैं। खासकर तब जब विपक्ष इस मामले को सत्ता पक्ष की 'टारगेटेड कार्रवाई' के तौर पर पेश करने लगे।
यह मामला केवल जुर्माना और चालान तक सीमित नहीं है। जनता के बीच इसका संदेश भी महत्वपूर्ण है। एक ओर जहां इसे आम नागरिकों के लिए ‘समान कानून’ का संदेश माना जा सकता है, वहीं दूसरी ओर सपा इसे अपनी छवि बनाने के लिए 'राजनीतिक उत्पीड़न' की कहानी के रूप में पेश कर सकती है। अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा, कि समय आने पर इसका समुचित जवाब देंगे। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि पार्टी इस मुद्दे को आगामी राजनीतिक रैलियों और सभाओं में उठाएगी।
कुल मिलाकर, यह कार्रवाई अब केवल यातायात नियमों के उल्लंघन का मामला नहीं रह गई है, बल्कि सियासी रंग ले चुकी है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ओवरस्पीडिंग का यह चालान आने वाले दिनों में राजनीतिक मंचों पर गूंजेगा। अखिलेश यादव और भाजपा के बीच यह नया विवाद निश्चित रूप से प्रदेश की राजनीति में एक और बहस को जन्म देगा।