श्रावण मास: छह मुखी रुद्राक्ष से पाएं महादेव की कृपा, वैज्ञानिक एवं धार्मिक महत्व

श्रावण मास में छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि यह रुद्राक्ष धार्मिक, वैज्ञानिक, और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

Sun, 20 Jul 2025 11:49:35 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: काशी शिवभक्ति के अद्भुत और अनुपम माह सावन में जब आस्था अपने चरम पर होती है, तब भक्तजन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विविध साधन अपनाते हैं। इन्हीं साधनों में एक महत्वपूर्ण साधना है। रुद्राक्ष धारण करना। विशेष रूप से छह मुखी रुद्राक्ष, जिसे स्वयं भगवान शिव ने अपने लिए उपयुक्त माना है, सावन मास में धारण करने से असीम आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलते हैं।

यह न केवल धर्मशास्त्रों में वर्णित है, बल्कि आयुर्वेद, आधुनिक चिकित्सा और ऊर्जा विज्ञान में भी इसके गुणों की पुष्टि हुई है। यह लेख श्रद्धालुओं के लिए न केवल आस्था से जुड़ी जानकारी देता है, बल्कि शास्त्रीय प्रमाण और वैज्ञानिक तथ्यों के साथ यह बताता है कि रुद्राक्ष केवल एक धार्मिक गहना नहीं, बल्कि जीवन को रूपांतरित करने वाली आध्यात्मिक तकनीक है।

✍️छह मुखी रुद्राक्ष का पौराणिक महत्व

पुराणों में उल्लेख है कि छह मुखी रुद्राक्ष में भगवान कार्तिकेय का वास होता है, जो युद्ध, बल, संयम और ब्रह्मचर्य के देवता माने जाते हैं। इसी कारण यह रुद्राक्ष उन व्यक्तियों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो आत्मसंयम, ऊर्जा और मानसिक स्थिरता चाहते हैं।

महाभारत के अनुशासन पर्व और शिव पुराण के रुद्राक्ष महात्म्य अध्याय में बताया गया है कि यह रुद्राक्ष पहनने वाला व्यक्ति चंचलता और विकारों से मुक्त होता है और उसमें तप, त्याग व सत्पथ पर चलने की शक्ति उत्पन्न होती है।

✍️ क्यों सावन में ही धारण करें रुद्राक्ष

श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और उपवास जैसे अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। इसी पवित्र काल में यदि भक्त विधिपूर्वक रुद्राक्ष धारण करें तो उसका प्रभाव सौ गुना बढ़ जाता है। इसे 'कालोचित साधना' कहा गया है। अर्थात समय के अनुरूप की गई तपस्या का फल शीघ्र और स्थायी रूप से मिलता है।

यह काल स्वयं रुद्रस्वरूप है, अतः यह वह समय होता है जब शिवशक्ति स्वयं अपने भक्तों के समीप होती है। ऐसे में रुद्राक्ष जो स्वयं शिव के अश्रुओं से प्रकट हुआ है, धारण करना सीधा शिव के चरणों से जुड़ने जैसा माना जाता है।

✍️ रुद्राक्ष और विज्ञान: ऊर्जा, स्वास्थ्य और चुंबकीय संतुलन

आधुनिक वैज्ञानिक शोधों में यह प्रमाणित हुआ है कि रुद्राक्ष की बनावट में मौजूद 'इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रॉपर्टीज़' शरीर की नाड़ियों पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इससे शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, थकान कम होती है और मस्तिष्क शांत रहता है।

विशेषकर छह मुखी रुद्राक्ष थायरॉइड, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों में लाभकारी माना गया है। जापान, अमेरिका और भारत के कई संस्थानों में किए गए अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि रुद्राक्ष पहनने वालों में स्ट्रेस हार्मोन (कॉर्टिसोल) का स्तर तुलनात्मक रूप से कम पाया गया।

✍️ ज्योतिष में रुद्राक्ष का स्थान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छह मुखी रुद्राक्ष शुक्र ग्रह से संबंधित होता है। यह उन लोगों के लिए विशेष फलदायक है जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो या अशुभ हो। यह जीवन में वैवाहिक समस्याओं, सौंदर्य, कला, प्रेम संबंधी बाधाओं और भौतिक कष्टों से राहत देता है।

यह रुद्राक्ष उन विद्यार्थियों, कलाकारों, वकीलों, वक्ताओं और नेताओं के लिए भी उपयुक्त माना जाता है जिन्हें संवाद में स्पष्टता, आकर्षण और प्रभावशीलता की आवश्यकता होती है।

✍️ कब, कैसे और कौन पहने

छह मुखी रुद्राक्ष केवल सोमवार या पूर्णिमा को प्रातः काल गंगाजल से स्नान कर के धारण करें।

इसे गले में या हाथ में लाल या पीले धागे में गूंथकर धारण करें।

धारण करने से पूर्व “ॐ ह्रीं हुम नमः” या “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जप करें।

एक बार धारण किया हुआ रुद्राक्ष किसी और को न दें और न ही उसका प्रयोग मजाक या फैशन की वस्तु की तरह करें।

✍️ किसे नहीं करना चाहिए रुद्राक्ष धारण?

गर्भवती महिलाएं, गंभीर रोगों से ग्रस्त व्यक्ति, मद्यपान करने वाले, नियमित मांसाहार करने वाले या अति क्रोधित स्वभाव के लोग रुद्राक्ष धारण करने से पहले किसी अनुभवी पंडित या गुरुदेव से परामर्श करें। रुद्राक्ष धारण की एक आभा होती है, जो शुद्ध जीवनशैली और सात्विकता से ही जाग्रत रहती है।

रुद्राक्ष धारण करना मात्र एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह एक जीवंत आध्यात्मिक विज्ञान है। सावन जैसे उच्च ऊर्जा वाले मास में जब भक्त भाव-विभोर हो कर भोलेनाथ की आराधना करते हैं, तब रुद्राक्ष धारण कर शिव से एक आंतरिक और स्थायी संबंध स्थापित किया जा सकता है।

छह मुखी रुद्राक्ष न केवल रोग, भय, तनाव और दुर्भाग्य को दूर करता है, बल्कि यह आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करता है और जीवन को दिशा देता है। अतः इस सावन में, शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ छह मुखी रुद्राक्ष धारण करें। शिव की कृपा अवश्य मिलेगी।

।।हर- हर महादेव।।

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