Sun, 03 Aug 2025 14:00:04 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: यूपी में ड्रोन के दुरुपयोग को लेकर सरकार अब और अधिक सख्त रवैया अपनाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय की ओर से रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया गया कि प्रदेश में ड्रोन के जरिये दहशत फैलाने या सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में न सिर्फ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और गैंगस्टर एक्ट जैसे गंभीर प्रावधानों के तहत अभियोग दर्ज किया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि बिना पूर्व अनुमति के किसी भी नागरिक, संगठन या संस्थान द्वारा ड्रोन संचालन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। यह निर्णय विशेष रूप से हाल के दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में ड्रोन के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों की सूचनाओं के मद्देनजर लिया गया है। प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद और पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी जिलों में ड्रोन की निगरानी और उपयोग की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर तत्काल आवश्यक कदम उठाएं।
✍️ड्रोन संचालन को लेकर यूपी सरकार की रणनीति
सरकार की ओर से कहा गया कि हर जिले में एक निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा, जो ड्रोन संचालन पर पैनी नजर रखेगा। पुलिस और प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि वे ड्रोन उड़ान की अनुमति जारी करने की एक स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया निर्धारित करें। इसके साथ ही सभी प्रकार के निजी और व्यावसायिक ड्रोन ऑपरेटर्स को अपना पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराने का निर्देश दिया गया है। कोई भी ड्रोन संचालन, चाहे वह फोटो/वीडियोग्राफी के लिए हो या सर्वेक्षण आदि के लिए, तब तक अनुमत नहीं होगा जब तक कि उसके लिए स्थानीय प्रशासन से पूर्व अनुमति प्राप्त न हो।
✍️फायदे: निगरानी और विकास में ड्रोन की भूमिका
ड्रोन टेक्नोलॉजी के सकारात्मक पक्ष को नकारा नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश में ड्रोन का उपयोग कई उपयोगी उद्देश्यों के लिए हो रहा है। जैसे कृषि सर्वेक्षण, निर्माणाधीन परियोजनाओं की निगरानी, आपदा राहत कार्य, मेडिकल आपूर्ति और कानून व्यवस्था की निगरानी आदि। सरकारी एजेंसियां भी जल-निकासी, भूमि रिकॉर्डिंग और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का मूल्यांकन ड्रोन से कर रही हैं। ड्रोन के जरिए मिली वास्तविक समय की जानकारी से प्रशासनिक कार्यों की गति और सटीकता में काफी सुधार हुआ है।
✍️खतरे: असुरक्षा, जासूसी और आतंक की आशंका
लेकिन इसके साथ ही ड्रोन के खतरे भी तेजी से सामने आ रहे हैं। हाल के महीनों में ड्रोन के जरिए जेल परिसरों, संवेदनशील स्थलों और राजनीतिक आयोजनों के आसपास संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी सामने आई है। खुफिया एजेंसियों ने कुछ सीमावर्ती जिलों और माफिया-प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से नकली करेंसी, हथियार, ड्रग्स या अन्य संदिग्ध वस्तुएं गिराने की आशंका जताई है। इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने के उद्देश्य से भी लोग ड्रोन का गलत उपयोग कर रहे हैं, जिससे सार्वजनिक भय और अफवाहों को बल मिल रहा है।
✍️उत्तर प्रदेश सरकार का स्पष्ट रुख
सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के साथ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। ड्रोन का अनुचित उपयोग आतंकी गतिविधियों या आपराधिक तत्वों के हाथ में एक खतरनाक उपकरण बन सकता है, इसलिए इसे नियंत्रण में लाना नितांत आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति या समूह बिना अनुमति ड्रोन उड़ाता पाया जाता है, तो उसे केवल जुर्माने या चेतावनी तक सीमित नहीं किया जाएगा। बल्कि सीधे NSA, गैंगस्टर एक्ट और IT एक्ट जैसे कठोर प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
✍️नागरिकों और व्यवसायों के लिए क्या है दिशा-निर्देश?
✅प्रत्येक ड्रोन संचालक को प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
✅सभी ड्रोन का पंजीकरण, ट्रैकिंग और उड़ान लॉग अनिवार्य किया जाएगा।
✅संवेदनशील क्षेत्रों जैसे एयरपोर्ट, जेल, सेना/पुलिस परिसर, सरकारी भवनों के पास ड्रोन संचालन पूरी तरह निषिद्ध रहेगा।
✅नियमों का उल्लंघन करने पर न सिर्फ ड्रोन जब्त किया जाएगा, बल्कि ऑपरेटर को भी आपराधिक अभियोग झेलना पड़ेगा।
✅मीडिया, इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों और डिजिटल क्रिएटर्स को पूर्व सूचना और अनुमति लेकर ही ड्रोन का प्रयोग करने की छूट होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय राज्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दृष्टि से आवश्यक और समयानुकूल है। जहां ड्रोन टेक्नोलॉजी राज्य के विकास कार्यों में एक उपयोगी उपकरण साबित हो रही है, वहीं उसका गलत इस्तेमाल गंभीर खतरों को जन्म दे सकता है। ऐसे में सरकार का दो टूक और कठोर रुख न केवल चेतावनी है, बल्कि राज्य के नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। आने वाले दिनों में इस नीति के चलते ड्रोन संचालन में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और सुरक्षा सुनिश्चित होने की संभावना है।