Mon, 17 Nov 2025 10:53:05 - By : Shriti Chatterjee
उत्तर प्रदेश और गुजरात एटीएस की संयुक्त जांच में एक बड़ा खुलासा सामने आया है जिसने आतंकियों की गतिविधियों और उनके छिपे हुए तंत्र को और स्पष्ट कर दिया है। जांच में पता चला है कि हथियारों की सप्लाई और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़ा पूरा नेटवर्क टेलीग्राम पर संचालित हो रहा था, जहां आतंकियों ने टील नाम से एक ग्रुप बनाया था। यह ग्रुप हथियारों की डिलीवरी, देश विरोधी योजनाओं और संदिग्ध बातचीत का केंद्र था। एटीएस को यह भी जानकारी मिली है कि आतंकियों ने एक खास कोड वर्ड बनाया था जिसे हाईवे किनारे नाम दिया गया था। इसी शब्द का इस्तेमाल हथियारों की डिलीवरी स्थान को चिह्नित करने और बातचीत को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था ताकि जांच एजेंसियां भ्रमित रहें। राजस्थान की सीमा से लेकर अहमदाबाद तक हथियार पहुंचाने की योजना इसी कोड के जरिये आगे बढ़ाई गई थी।
एटीएस अधिकारियों के अनुसार, संदिग्ध बातचीत टेलीग्राम कॉल के माध्यम से होती थी जिसमें कोड वर्ड का बार बार उपयोग एजेंसियों को गुमराह करने के लिए किया जाता था। हनुमानगढ़ के जिस स्थान से हथियार उठाए जाते थे उसे भी इसी कोड के जरिये पहचान दी गई थी और आजाद शेख से भी इसी आधार पर बात की जा रही थी। जांच में यह भी सामने आया कि पाकिस्तान में बैठे आईएसआई हैंडलर अबू खदीजा और अबू आल्हा इस पूरे मॉड्यूल को निर्देशित कर रहे थे और वही टील ग्रुप चला रहे थे। इस ग्रुप में लगभग दो सौ सदस्य जुड़े हुए थे जिन पर अब जांच एजेंसियों की नजर है और सभी की गतिविधियों की गहन जांच शुरू हो चुकी है।
पूछताछ में एक और अहम खुलासा हुआ है कि आरोपी उन मार्गों का इस्तेमाल करने की तैयारी में थे जिनका प्रयोग नशा तस्करी के लिए राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के रास्तों में किया जाता है। आरोपियों ने बताया कि उन्हीं मार्गों से हथियारों को बड़े पैमाने पर पहुंचाने की योजना बनाई जा रही थी। इस बात से साफ संकेत मिलता है कि नेटवर्क काफी व्यवस्थित और फैलाव वाला था। गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन अहमदाबाद की फोरेंसिक लैब में भेजे गए हैं जहां उनके डेटा की रिकवरी की जा रही है। अधिकारियों को उम्मीद है कि फोन से मिलने वाली जानकारी कई और महत्वपूर्ण परतों को उजागर कर सकती है।
जांच के दौरान यह भी पता चला कि कोलकाता जमात के समय आजाद शेख के मोबाइल फोन का इस्तेमाल अन्य सदस्यों ने भी किया था क्योंकि जमात में केवल दो ही मोबाइल ले जाने की अनुमति थी। बाकी सदस्यों को फोन लाने की मनाही थी। इस दौरान शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और दिल्ली के कई लोगों ने आजाद के फोन से बात की थी। जांच एजेंसियों का कहना है कि इन लोगों की भूमिका संदिग्ध नहीं है लेकिन जरूरत के अनुसार उनके विवरण जुटाए जा रहे हैं। इसी क्रम में झिझाना के एक मौलाना से भी पूछताछ की गई है ताकि तथ्यों को और स्पष्ट किया जा सके।
एटीएस के डीएसपी हर्ष कुमार ने बताया कि आतंकी हथियारों की सप्लाई के लिए हाईवे किनारे नाम का कोड वर्ड इस्तेमाल करते थे और टेलीग्राम ग्रुप के बारे में मिली जानकारी बेहद अहम है। ग्रुप के सदस्यों की सूची खंगाली जा रही है और नशे के मार्गों का उपयोग कर हथियार पहुंचाने की योजना की भी पुष्टि हुई है। जांच लगातार आगे बढ़ रही है और अधिकारियों का दावा है कि अन्य आरोपी जल्द गिरफ्तार किए जाएंगे।
यह पूरा मामला नौ नवंबर को सामने आया था जब गुजरात एटीएस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में झिंझाना के आजाद शेख, लखीमपुर खीरी के सुहेल और अहमदाबाद के अहमद मोइय्यूद्दीन को पकड़ा था। गिरफ्तारी के दौरान एक वाहन, एक पिस्टल, तीन कारतूस और चार लीटर कैस्टल ऑयल बरामद किया गया था जो घातक रसायन तैयार करने में उपयोग हो सकता है। जांच में यह भी सामने आया कि इनका सीधा संपर्क पाकिस्तान में बैठे अफगानी आतंकी अबू खदीजा से था। एजेंसियां लंबे समय से उसे पकड़ने का प्रयास कर रही हैं, हालांकि वह अभी गिरफ्त से बाहर है। इस पूरे मॉड्यूल को खत्म करने के लिए देश की विभिन्न जांच एजेंसियां लगातार काम कर रही हैं और आने वाले दिनों में और भी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आने की संभावना है।