Sun, 22 Jun 2025 16:55:51 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: बड़ागांव थाना क्षेत्र स्थित नयेपुर में बिना पंजीकरण संचालित 'आशा हॉस्पिटल' को शनिवार को स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में सील कर दिया गया। यह कदम उस समय उठाया गया जब एक मरीज के तीमारदार ने आयुष्मान कार्ड के बावजूद 32,400 रुपये नकद वसूलने की शिकायत जनसुनवाई में प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना से की। मंत्री के स्पष्ट निर्देश के बाद मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य अधिकारियों और पुलिस बल ने अस्पताल के शटर पर ताला जड़ते हुए संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
शिकायतकर्ता सुरेंद्र वनवासी ने बताया कि उन्होंने अपने बीमार पिता को आशा हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें भरोसा दिलाया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज पूरी तरह मुफ्त होगा। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर उनसे 32,400 रुपये नकद की मांग की और भुगतान के बिना इलाज न करने की स्थिति बना दी। यह मामला शनिवार को उस समय उजागर हुआ जब सुरेंद्र ने जनसंपर्क कार्यालय में प्रभारी मंत्री से शिकायत की।
शिकायत पर गंभीर रुख अपनाते हुए प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने तुरंत सीएमओ को मौके पर बुलाया और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से भी इस मामले को लेकर स्पष्ट संदेश मिला कि आयुष्मान कार्डधारकों से किसी भी प्रकार की वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. शेर मुहम्मद को जांच सौंपी, जिन्होंने अपनी जांच में पाया कि 'आशा हॉस्पिटल' न केवल नियमविरुद्ध वसूली कर रहा था, बल्कि उसका कोई पंजीकरण भी नहीं है।
जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद डॉ. शेर मुहम्मद की अगुवाई में थाना बड़ागांव की पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची और अस्पताल के मुख्य द्वार को सील कर दिया। साथ ही मरीज सुरेंद्र से वसूली गई पूरी धनराशि अस्पताल प्रबंधन से वापस करवाई गई। मामले में अब कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने फूलपुर थाने में अस्पताल संचालक के खिलाफ विधिवत तहरीर दी है। इस संबंध में फूलपुर के थानाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह ने पुष्टि की कि मामला गंभीर है और नियमों के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
इस प्रकरण को देखते हुए सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि जिले में संचालित सभी निजी अस्पतालों की निगरानी अब तेज कर दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक विशेष निगरानी टीम गठित की जा रही है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निजी चिकित्सालय बिना पंजीकरण संचालित न हो और आयुष्मान योजना के तहत आने वाले मरीजों से अवैध वसूली न की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर संबंधित अस्पतालों को न केवल बंद कराया जाएगा, बल्कि उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
इस पूरी कार्रवाई ने स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक सख्त संदेश दिया है। साथ ही यह मामला उन गरीब और जरूरतमंद मरीजों के हित में एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है जो सरकारी योजनाओं के अंतर्गत मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं के हकदार हैं।