वाराणसी: रामनगर/डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर भाजयुमो ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

वाराणसी के रामनगर में भाजयुमो द्वारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रहित और उनके बलिदान को याद किया गया।

Mon, 23 Jun 2025 21:47:39 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर/रामपुर, वार्ड संख्या 13 में भारत की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक, महान शिक्षाविद् और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व भाजयुमो संयोजक पंकज बारी ने किया, जबकि सभा की अध्यक्षता बुथ अध्यक्ष विशाल आनंद ने की। पूरे आयोजन में देशभक्ति, प्रेरणा और राष्ट्रीय विचारधारा की स्पष्ट झलक देखने को मिली।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर हुई, जहां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, स्थानीय पार्षदों और कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान को याद किया। वक्ताओं ने मुखर्जी के जीवन संघर्ष, उनके प्रखर राष्ट्रवादी विचारों और भारत की एकता के लिए उनके ऐतिहासिक योगदान को विस्तार से रेखांकित किया।

पूर्व मण्डल अध्यक्ष अजय प्रताप सिंह ने कहा, "डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान किसी विचारधारा के लिए नहीं, बल्कि भारत की आत्मा के लिए था। उन्होंने यह साबित किया कि राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है, भले ही उसके लिए व्यक्तिगत जीवन का भी बलिदान क्यों न देना पड़े। आज हम सभी को उनके दिखाए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है।"

वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा, "जम्मू-कश्मीर में 'एक देश में दो विधान, दो प्रधान, और दो निशान' नहीं चल सकते। यह डॉ. मुखर्जी का संकल्प था, और उन्होंने इसी के लिए अपना जीवन भी न्योछावर कर दिया। उनके उस दृढ़ निश्चय ने ही बाद में धारा 370 को हटाने की नींव रखी।"

भाजपा पार्षद लल्लन सोनकर ने उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, "आज के युवाओं को डॉ. मुखर्जी के विचारों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उनकी सोच आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी आज़ादी के बाद के वर्षों में थी।"

कार्यक्रम के संयोजक भाजयुमो के पंकज बारी ने कहा, "डॉ. मुखर्जी ने सिर्फ विचार नहीं दिए, उन्होंने उन विचारों को अपने जीवन में जिया। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि सत्ता नहीं, सेवा ही राजनीति का मूल उद्देश्य होना चाहिए। आज उनके आदर्शों को अपनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।"

सुरेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा, "आज जब देश वैश्विक मंच पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उस मजबूत भारत की नींव में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे बलिदानियों की तपस्या छुपी है। उनकी स्मृति हमारे लिए संकल्प की ऊर्जा बनकर जीवित रहे।"

इस अवसर पर कई अन्य भाजपा कार्यकर्ता जैसे लव कुमार, सुनील श्रीवास्तव, सुनील सिंह राजपूत, ललित सिंह, छोटेलाल पाल, हरिकेष सिंह, राघवेंद्र मिश्रा, मंजय पाल, विनय श्रीवास्तव आदि भी मौजूद रहे और सभी ने एक स्वर में मुखर्जी के राष्ट्र के प्रति योगदान को नमन किया।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ था। वे एक प्रखर शिक्षाविद्, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रवादी विचारक थे। वे देश के पहले उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री भी बने। कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में विकसित हुई। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विशेष दर्जे के खिलाफ संघर्ष किया और 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में जम्मू-कश्मीर में हिरासत के दौरान उनका निधन हो गया। उनका बलिदान भारतीय राजनीति और राष्ट्रीय एकता के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।

आज जब भाजपा देशभर में राष्ट्रहित और सेवा के पथ पर अग्रसर है, तब ऐसे बलिदानियों की स्मृति न केवल प्रेरणास्त्रोत है, बल्कि आत्ममंथन का अवसर भी प्रदान करती है। रामपुर में आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा न केवल स्मरण की एक पहल थी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रप्रेम और समर्पण की विरासत सौंपने का भी प्रयास था।

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