Fri, 07 Nov 2025 11:01:58 - By : Trishikha pal
वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय की भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम बेंच ने गुरुवार को एक दशक पुराने हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष इंद्र देव मिश्रा के बेटे नीरज मिश्रा की जहर देकर हत्या करने के दोषी चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनमें एक अधिवक्ता भी शामिल है। अदालत ने सभी दोषियों को कठोर आजीवन कारावास के साथ प्रत्येक पर एक-एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
विशेष न्यायाधीश विनोद प्रसाद की अदालत ने अभियुक्त पूनम मिश्रा, भूपेंद्र नाथ तिवारी, अधिवक्ता प्रमोद त्रिपाठी और नरेंद्र त्रिपाठी उर्फ शिब्लू को दोषी पाया। अदालत ने कहा कि इन सभी ने आपसी षड्यंत्र और धोखाधड़ी के तहत इस हत्या को अंजाम दिया। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक रोहित मौर्य ने पक्ष रखा, जबकि वादी की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कुमार सिंह और सुधांशु गुप्ता ने पैरवी की।
मामला वर्ष 2015 का है। 17 अक्टूबर 2015 को नीरज मिश्रा अपने मित्र भूपेंद्र तिवारी के साथ बरही में आयोजित एक कार्यक्रम में गए थे। आरोप है कि रास्ते में नीरज को गिलास में नुआन पॉइजन मिलाकर शराब पिलाई गई। रात में घर लौटने पर उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, मुंह से झाग आने लगा और वे बेहोश हो गए। परिजन तुरंत उन्हें बीएचयू अस्पताल ले गए, लेकिन वहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में विषाक्त पदार्थ से मौत की पुष्टि हुई। मृतक के जीजा वेद प्रकाश पांडे ने इस मामले में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया। विवेचना के दौरान पुलिस ने पाया कि भूपेंद्र नाथ तिवारी और अन्य अभियुक्तों ने सुनियोजित तरीके से यह षड्यंत्र रचा था। गवाहों के अनुसार, घटना से पहले भूपेंद्र ने शराब में कुछ मिलाते हुए देखा गया था।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इस हत्या के पीछे एक जमीन विवाद मुख्य कारण था। पूनम मिश्रा और उनके पति की 23 बिस्वा जमीन थी, जिसमें जाने का रास्ता नहीं था। नीरज मिश्रा ने रास्ता देने के बदले दो बिस्वा जमीन 29 लाख रुपये में खरीदने का समझौता किया था। पूनम मिश्रा ने रकम लेने के बावजूद जमीन देने से इंकार कर दिया। जब नीरज ने विरोध किया तो उन्हें 29 लाख का चेक दिया गया जो बैंक में अनादृत हो गया। इसके बाद नीरज ने अदालत में मामला दायर कर दिया। इसी से नाराज होकर पूनम मिश्रा ने अन्य आरोपियों के साथ षड्यंत्र कर उनकी हत्या करवा दी।
अदालत में अभियोजन पक्ष ने कुल 13 गवाह प्रस्तुत किए, जिन्होंने घटना की पुष्टि करते हुए साक्ष्य दिए। गवाहों और सबूतों के आधार पर न्यायालय ने चारों आरोपियों को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि यह घटना विश्वासघात और लालच का संगम है, जिसे किसी भी स्थिति में माफ नहीं किया जा सकता।
इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली। नीरज मिश्रा के भाई संजय मिश्रा और जीजा वेद प्रकाश पांडे ने कहा कि लंबे समय के बाद न्याय मिला है और यह फैसला अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों के लिए मिसाल बनेगा।