वाराणसी: साइबर फ्रॉड में यस बैंक कर्मियों व शिक्षक पर FIR का कोर्ट ने दिया आदेश

वाराणसी कोर्ट ने यस बैंक कर्मचारियों व शिक्षक पुनीत दीक्षित के खिलाफ करोड़ों के साइबर फ्रॉड में FIR का आदेश दिया।

Tue, 30 Sep 2025 13:52:14 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: जिला कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट (द्वितीय) प्रियल शर्मा की अदालत ने करोड़ों रुपये के साइबर फ्रॉड मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए यस बैंक के कर्मचारियों और स्वामी नारायणनन्द तीर्थ विद्यालय के शिक्षक पुनीत दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत का यह आदेश बैंकिंग सेक्टर और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों के लिए एक अहम चेतावनी माना जा रहा है।

यह मामला पंकज दुबे नामक शिक्षक की शिकायत पर आधारित है। पंकज दुबे भी स्वामी नारायणनन्द तीर्थ विद्यालय, अस्सी भेलूपुर में कार्यरत थे। उन्होंने अपने वकीलों मदन मोहन पांडेय और अंशुमान त्रिपाठी के माध्यम से धारा 173(4) के तहत अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना भेलूपुर प्रभारी को तत्काल प्रभाव से मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।

एनजीओ अकाउंट से हुई तीन करोड़ की निकासी
शिकायत के अनुसार, प्रार्थी पंकज दुबे ने वनशक्ति फाउंडेशन नाम से एक एनजीओ बनाया था और उसका चालू खाता यस बैंक में खुलवाया। आरोप है कि सहकर्मी शिक्षक पुनीत दीक्षित ने धोखे से एनजीओ खाते से जुड़ा इंटरनेट बैंकिंग किट और छोटा की-पैड मोबाइल फोन गायब कर दिया। इसी बीच उसने प्रार्थी को 31 जुलाई 2024 को मध्य प्रदेश बुलाया, जहां उसे अपनी भांजी की शादी के बहाने फंसाया गया। हालांकि, आरोपी मुलाकात से बचता रहा और संपर्क भी टालता रहा।

पीड़ित की जानकारी के बिना 3 अगस्त से 4 अगस्त 2024 के बीच एनजीओ खाते में करीब तीन करोड़ बीस लाख रुपये विभिन्न माध्यमों से जमा हुए और देखते ही देखते महज 15 दिनों में ढाई करोड़ रुपये निकाल लिए गए। आरोप है कि इस पूरे लेन-देन की जानकारी बैंक कर्मियों ने प्रार्थी को नहीं दी, बल्कि उल्टा उसे यह कहकर टाल दिया कि वह स्वयं अपने खाते से पैसे निकाल चुका होगा।

आरोपी की संदिग्ध गतिविधियां और नए खुलासे
पीड़ित पंकज दुबे का आरोप है कि पुनीत दीक्षित अचानक अस्सी स्थित विद्यालय में आना बंद कर दिया और उसके फोन कॉल्स का भी जवाब देना बंद कर दिया। बाद में पीड़ित को यह भी पता चला कि उसके विरुद्ध झारखंड और लखनऊ में मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिससे पूरा मामला और संदिग्ध हो गया।

इस बीच, पंकज दुबे ने जब बैंक अधिकारियों से इस पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी मांगी तो कोई ठोस जवाब नहीं मिला। बैंक कर्मचारियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने मामले को गंभीरता से न लेते हुए पीड़ित को गुमराह करने की कोशिश की।

अदालत की सख्ती और आगे की कार्रवाई
न्यायिक मजिस्ट्रेट (द्वितीय) प्रियल शर्मा की अदालत ने इस पूरे मामले को गंभीर वित्तीय अपराध मानते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी और बैंक कर्मियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच आवश्यक है।

अब भेलूपुर पुलिस को आदेश मिला है कि वह मामले की गहन जांच कर आरोपी शिक्षक पुनीत दीक्षित और यस बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता की पड़ताल करे। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस केस में कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं।

यह फैसला न केवल पीड़ित के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि न्यायालय वित्तीय अपराधों और साइबर फ्रॉड जैसे मामलों में अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा।

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