Tue, 08 Jul 2025 14:35:19 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विश्वविख्यात काशी को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक के साथ एक बड़ी पहल की शुरुआत की। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में 'भिक्षुक मुक्त काशी अभियान' की समीक्षा बैठक आयोजित हुई, जिसमें अभियान को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए विभिन्न विभागों को जिम्मेदारियां सौंपी गईं।
सीडीओ ने निर्देश दिया कि यह अभियान मंगलवार से आगामी रविवार तक विशेष रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन, संकटमोचन मंदिर, कालभैरव मंदिर, प्रमुख चौराहों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर चलाया जाए, जहां पर अधिकतर भिक्षुक सक्रिय पाए जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभियान के संचालन के लिए नगर निगम, पुलिस विभाग, समाज कल्याण विभाग और चाइल्ड लाइन से जुड़े कर्मियों की एक संयुक्त टीम गठित की जाए, जो एकीकृत और समन्वित तरीके से कार्य करे।
बैठक के दौरान 'अपना घर आश्रम' की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्माइल प्रोजेक्ट के तहत अब तक वाराणसी जनपद में 286 सक्रिय भिक्षुकों की पहचान की जा चुकी है। यह सर्वेक्षण कार्य फिलहाल भी जारी है। अधिकारियों के अनुसार, चिन्हित भिक्षुकों की अधिकतम उपस्थिति धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर पाई गई है, जिनमें अधिकांश ऐसे लोग शामिल हैं जो या तो आजीविका के अन्य स्रोतों से वंचित हैं या सामाजिक तंत्र से पूरी तरह कट चुके हैं।
सीडीओ हिमांशु नागपाल ने इस अभियान को संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ संचालित करने के निर्देश देते हुए विशेष रूप से बच्चों के मामले में गंभीरता बरतने को कहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सर्वेक्षण के दौरान कोई बच्चा भीख मांगते हुए पाया जाए तो उसे तुरंत बाल सुधार गृह में स्थानांतरित कर पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे बच्चों की सामाजिक पृष्ठभूमि की भी जांच कर उन्हें उचित देखभाल और शिक्षा से जोड़ा जाए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
प्रशासन का मानना है कि इस अभियान से न केवल वाराणसी की सार्वजनिक छवि सुधरेगी, बल्कि इससे उन सैकड़ों जरूरतमंद लोगों को भी राहत मिलेगी जो मजबूरी में भिक्षावृत्ति का सहारा लेते हैं। सीडीओ ने अभियान के दौरान बरती जाने वाली संवेदनशीलता पर भी ज़ोर दिया, ताकि यह किसी के लिए अपमानजनक न बने, बल्कि उन्हें एक सम्मानजनक जीवन की ओर ले जाने का माध्यम बने।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभियान के परिणामों की समीक्षा नियमित रूप से की जाएगी, और ज़रूरत के अनुसार रणनीति में संशोधन कर इसे और प्रभावी बनाया जाएगा। साथ ही, चिन्हित भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए ‘अपना घर आश्रम’, समाज कल्याण विभाग और अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाएगा, ताकि यह कोई तात्कालिक कार्रवाई न होकर एक दीर्घकालिक समाधान साबित हो।
‘भिक्षुक मुक्त काशी’ अभियान प्रशासनिक कार्यवाही भर नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और जिम्मेदारी का हिस्सा है। यह पहल धार्मिक नगरी की गरिमा को पुनर्स्थापित करने के साथ-साथ सामाजिक रूप से उपेक्षित वर्गों को सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है, जिससे काशी न केवल श्रद्धा की राजधानी बने, बल्कि करुणा, पुनर्वास और मानवता की भी मिसाल पेश कर सके।