वाराणसी: जिलाधिकारी ने हरिश्चंद्र घाट का निरीक्षण कर सिल्ट हटाने के दिए निर्देश

वाराणसी जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने हरिश्चंद्र घाट का निरीक्षण कर बाढ़ से जमी सिल्ट हटाने और स्वच्छता बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए।

Wed, 01 Oct 2025 20:59:44 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: जिसे विश्वभर में "गंगा नगरी" के नाम से जाना जाता है, उसके घाटों का महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भी है। इन्हीं घाटों में से एक है हरिश्चंद्र घाट, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु, पर्यटक और स्थानीय लोग आते हैं। बुधवार को जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने इस घाट का स्थलीय निरीक्षण कर नगर निगम द्वारा किए जा रहे विकास एवं सफाई कार्यों का गहन मूल्यांकन किया।

बाढ़ से जमी सिल्ट हटाने का दिया सख्त निर्देश
हाल ही में गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण हरिश्चंद्र घाट पर बड़ी मात्रा में सिल्ट और गाद जम गई थी। जिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर इस समस्या को गंभीरता से लिया और नगर निगम की टीम को निर्देशित किया कि इसे तत्काल प्रभाव से हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि श्रद्धालुओं और आमजन को गाद और गंदगी के बीच पूजा-पाठ या स्नान करने की स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को नियमित रूप से सफाई व्यवस्था की निगरानी करने और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त संसाधन लगाने के भी निर्देश दिए।

निर्माणाधीन परियोजना की समीक्षा
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने नगर निगम की ओर से घाट पर चल रही विकास परियोजना की भी जानकारी ली। इस परियोजना का उद्देश्य घाट को आधुनिक सुविधाओं से लैस करना और इसे और अधिक आकर्षक एवं व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करना है। कार्यदाई संस्था के अभियंताओं ने जिलाधिकारी को बताया कि निर्माण कार्य निर्धारित समय सीमा के अनुसार आगे बढ़ रहा है और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने दोहराया कि किसी भी स्थिति में कार्य की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने अभियंताओं को निर्देशित किया कि विकास कार्यों का उद्देश्य केवल संरचना तैयार करना नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा सुनिश्चित करना भी है।

स्वच्छता पर विशेष बल
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा कि गंगा घाटों की स्वच्छता केवल नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह वाराणसी की पहचान और भारत की आध्यात्मिक धरोहर से जुड़ा विषय है। हरिश्चंद्र घाट का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है, क्योंकि यहां परंपरागत रूप से अंतिम संस्कार भी संपन्न होते हैं और यह श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। ऐसे में इस घाट की स्वच्छता और सुंदरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नियमित सफाई अभियान चलाए जाएं और कचरा निस्तारण की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखने के लिए घाटों की साफ-सफाई अनिवार्य है, और यह "स्वच्छ भारत मिशन" की भावना से भी जुड़ा हुआ है।

स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
निरीक्षण के दौरान घाट पर मौजूद कुछ श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी की इस पहल का स्वागत किया। उनका कहना था कि हरिश्चंद्र घाट पर अक्सर गाद जमने और गंदगी की समस्या बनी रहती है, जिससे श्रद्धालुओं को असुविधा होती है। जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि अब घाट का स्वरूप बदलेगा और यहां आने वाले हर व्यक्ति को बेहतर व्यवस्था मिलेगी।
एक श्रद्धालु गंगाराम ने कहा कि "गंगा माता के किनारे आने का अनुभव तभी दिव्य लगता है जब घाट स्वच्छ और व्यवस्थित हों। प्रशासन अगर इस दिशा में निरंतर कार्य करे तो यह स्थान और भी भव्य दिखाई देगा।"

प्रशासन की तत्परता
निरीक्षण समाप्त होते ही नगर निगम की टीमें सक्रिय हो गईं। सफाई कर्मचारियों को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए गए और सिल्ट हटाने का काम तुरंत शुरू कर दिया गया। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि निर्धारित समय के भीतर सभी कार्य पूरे कर दिए जाएंगे और घाट को स्वच्छ व आकर्षक स्वरूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

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