Mon, 01 Dec 2025 12:26:34 - By : Garima Mishra
गंगा की दो धाराओं के बीच खेती करने की चुनौती से जूझ रहे वाराणसी के समैचारीपुर चितार गांव के किसानों ने इस वर्ष एक अनोखा समाधान खोज निकाला है। लगातार बाढ़ और जलभराव की वजह से उनके खेत हर साल लंबे समय तक अलग थलग रहते थे, जिससे जुताई और बोआई करना मुश्किल हो जाता था। सरकारी स्तर पर कोई ठोस व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीणों ने स्वयं ही तकनीक और सामूहिक प्रयास का सहारा लिया और एक जुगाड़ की नाव तैयार कर ली। इस नाव की मदद से अब किसान ट्रैक्टर, खाद की बोरियां और खेती से जुड़ा भारी सामान सुरक्षित तरीके से गंगा के पार ले जा पा रहे हैं।
गांव के बीच से गुजर रही गंगा की दो धाराएं किसानों की करीब पांच सौ बीघा खेती को अलग करती हैं। पहले जहां धारा पार कराने के लिए किसान छोटे अस्थायी संसाधनों पर निर्भर रहते थे, वहीं कई बार पूरा सीजन इसी वजह से निकल जाता था। इस वर्ष ग्रामीणों ने मिलकर करीब तीस हजार रुपये चंदा किया और एक मजबूत नाव तैयार की। नाव बनाने में सबसे पहले बड़ी तिरपाल ली गई और उसमें धान का पुआल भरकर उसे कसकर बांधा गया। उसके ऊपर लकड़ी के मजबूत पटरे बिछाए गए ताकि ट्रैक्टर और अन्य भारी सामान का भार आसानी से सहा जा सके।
ग्रामीणों ने बताया कि नाव को स्टीमर से रस्सी के सहारे जोड़ा जाता है। स्टीमर के चलते ही नाव धार के दूसरी ओर पहुंचाई जाती है। नाव की मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किसान एक बार में दो ट्रैक्टर तक उसमें खड़ा करके पार करा लेते हैं। खेतों तक खाद, बीज और कृषि उपकरण पहुंचाना अब पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है।
नईम, राकेश कुमार और चांद मियां जैसे किसानों ने बताया कि इस नाव ने कई वर्षों से चली आ रही परेशानियों का समाधान कर दिया है। उन्हें अब खेतों तक पहुंचने और बोआई करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। ग्रामीणों ने कहा कि जब किसी समस्या का समाधान कहीं से न मिले तो सामूहिक प्रयास और नवाचार ही राह दिखाते हैं। यह नाव इसी का उदाहरण है। ग्राम प्रधान ताराबानो ने भी बताया कि नाव तैयार होने के बाद गंगा के टापू पर स्थित खेतों में गेहूं की बोआई शुरू कर दी गई है। ग्रामीण इस पहल से बेहद उत्साहित हैं और इसे गांव की सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं।
गंगा की धाराओं के बीच बसे इस क्षेत्र में जुगाड़ की यह नाव किसानों के लिए राहत और उम्मीद दोनों लेकर आई है। इससे यह भी साबित हुआ है कि सामूहिक प्रयास से कठिन से कठिन परिस्थिति को भी आसान बनाया जा सकता है।