Sat, 01 Nov 2025 20:32:54 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था और निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। उदय अर्पित क्लीनिक जलालपुर झबरा जंसा से जुड़ा एक मामला अब चर्चा का विषय बन गया है, जहां अस्पताल के पैरामेडिकल स्टाफ और कुछ सहयोगी पत्रकारों पर एक वरिष्ठ पत्रकार को फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। इस पूरे मामले को लेकर संबंधित पत्रकार ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराते हुए निष्पक्ष जांच और ठोस कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत के अनुसार, एस.के. श्रीवास्तव, जो दैनिक संपर्क दूत समाचार पत्र में ब्यूरो चीफ वाराणसी के पद पर कार्यरत हैं और नेशनल मीडिया हेल्पलाइन (पंजीकृत पत्रकार संगठन) के अध्यक्ष भी हैं, ने पिछले एक सप्ताह से “डॉक्टर एक, अस्पताल अनेक” मुहिम के तहत उदय अर्पित हॉस्पिटल के खिलाफ लगातार खबरें प्रकाशित की थीं। इन खबरों में अस्पताल पर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने और अवैध रूप से ऑपरेशन कराने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।
पत्रकार श्रीवास्तव ने अपने शिकायत पत्र में लिखा है कि उन्होंने सीएचसी आराजी लाइन के अधीक्षक नवीन सिंह की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि उक्त क्लिनिक का पैरामेडिकल स्टाफ बिना मान्यता के चिकित्सा कार्य कर रहा है। अधीक्षक की जांच रिपोर्ट में भी यह तथ्य सामने आया था कि संबंधित व्यक्ति ओटी में मरीजों का ऑपरेशन करते हुए पाए गए हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने अपने संचालन पर कोई रोक नहीं लगाई, बल्कि खबरों के प्रकाशन के बाद पत्रकार के खिलाफ षड्यंत्र रचने की कोशिशें तेज कर दी गईं।
पत्रकार का कहना है कि उदय अर्पित हॉस्पिटल के संचालक उदय वर्मा और उनके सहयोगी जितेन्द्र अग्रहरि (खरगूपुर, थाना जंसा) द्वारा उन्हें और उनके पत्रकार साथियों को डराने-धमकाने, यहाँ तक कि फर्जी मुकदमे में फंसाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। श्रीवास्तव ने सीएम पोर्टल पर दर्ज शिकायत में यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि “यदि कभी मेरे या मेरे परिवार के साथ कोई अनहोनी होती है, तो इसके सीधे जिम्मेदार उदय वर्मा (रसुलहा, थाना कपसेठी) और जितेन्द्र अग्रहरि (खरगूपुर, थाना जंसा) होंगे।”
इस गंभीर आरोप के सामने आने के बाद स्थानीय पत्रकार संगठनों में रोष व्याप्त है। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे “मीडिया की आवाज़ को दबाने का प्रयास” बताते हुए शासन और प्रशासन से तत्काल जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने भी शिकायत का संज्ञान लेते हुए मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न सिर्फ चिकित्सा नैतिकता की बड़ी चूक है बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर भी सीधा प्रहार है। जनता अब स्वास्थ्य विभाग की भूमिका और कार्रवाई पर निगाह लगाए हुए है।
सूत्रों के मुताबिक, सीएम पोर्टल पर दर्ज शिकायत संख्या के आधार पर संबंधित अधिकारियों को जांच की दिशा में आगे बढ़ने के निर्देश मिल चुके हैं। अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग उदय अर्पित हॉस्पिटल के पैरामेडिकल स्टाफ और प्रबंधन के खिलाफ क्या ठोस कदम उठाता है, या मामला एक बार फिर जांच की फाइलों में दबा दिया जाएगा।
मामला जिस तेजी से तूल पकड़ रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि यह केवल एक पत्रकार का नहीं, बल्कि सत्य और जनहित के पक्ष में उठाई गई आवाज़ का सवाल है। जनता उम्मीद कर रही है कि शासन इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच कराएगा और उन तत्वों पर अंकुश लगाएगा जो पत्रकारिता को दबाने का दुस्साहस कर रहे हैं।