Mon, 25 Aug 2025 20:26:34 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: साइबर अपराधियों ने ऑनलाइन ठगी का एक नया और खतरनाक तरीका अपनाते हुए लंका थाना क्षेत्र के सीरगोवर्धनपुर निवासी तेज बहादुर को अपने जाल में फंसा लिया। 'डिजिटल अरेस्ट' की आड़ में बदमाशों ने उनसे 80,526 रुपए निकलवा लिए। पीड़ित ने पुलिस से शिकायत की, लेकिन एफआईआर दर्ज होने में पूरे 25 दिन लग गए। अब पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66D के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पीड़ित तेज बहादुर ने पुलिस को बताया कि घटना 1 अगस्त की सुबह हुई। करीब 9:30 बजे उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को सरकारी एजेंसी का सदस्य बताया और दावा किया कि उनके केनरा बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हो रहा है। आरोपी ने सहयोग न करने पर गिरफ्तारी की धमकी भी दी।
इसके बाद ठगों ने वॉट्सऐप कॉल के जरिए संपर्क किया और खुद को सीबीआई व सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा अधिकारी बताते हुए "डिजिटल अरेस्ट" की प्रक्रिया शुरू कर दी। जालसाजों ने फर्जी दस्तावेज और लेटरहेड भी वॉट्सऐप पर भेजे, ताकि डर का माहौल बनाया जा सके।
आरोपियों ने पीड़ित से कहा कि अगर वे जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें फिजिकल अरेस्ट कर लिया जाएगा। इसी डर के बीच ठगों ने तेज बहादुर से बैंक खाते में मौजूद रकम को सुरक्षित करने के नाम पर एक अन्य खाते में ट्रांसफर करने को कहा। दबाव में आकर पीड़ित ने 80,526.15 रुपए यूपीआई के माध्यम से हेमंत राठौड़ नामक व्यक्ति के खाते में भेज दिए।
रकम निकलवाने के बाद भी जालसाज नहीं रुके। जांच का बहाना बनाकर उन्होंने पीड़ित को करीब तीन घंटे तक लगातार कॉल कर परेशान किया। शाम तक तेज बहादुर को शक हुआ और उन्होंने महसूस किया कि वे किसी बड़े साइबर जाल में फंस चुके हैं।
पीड़ित ने उसी दिन पुलिस को घटना की जानकारी दी थी, लेकिन एफआईआर दर्ज होने में 25 दिन का समय लग गया। अब लंका थानाध्यक्ष राजकुमार वर्मा ने पुष्टि की है कि तेज बहादुर की शिकायत पर साइबर अपराध की धारा 66D (ऑनलाइन धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।