Sat, 12 Jul 2025 13:31:50 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में डिलीवरी के दौरान एक नवजात की संदिग्ध हालात में मौत हो जाने से परिजनों में आक्रोश फैल गया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि नवजात का जन्म जीवित अवस्था में हुआ था, लेकिन नाल काटते समय डॉक्टर की लापरवाही से सर्जिकल ब्लेड उसके सिर में लग गया, जिससे सिर की नस कट गई और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया कि बच्चा मृत पैदा हुआ था और सर्जिकल ब्लेड का लगना एक अप्रासंगिक घटना थी, जिसका बच्चे की मृत्यु से कोई लेना-देना नहीं है।
घटना शुक्रवार रात की है। पीड़िता शबनम को सुबह 8 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। उनके पति अनीशुर्रहमान, जो पड़ाव इलाके के निवासी और बुनकर व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें तत्काल एम्बुलेंस से कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे। सुबह 8:30 बजे उन्हें अस्पताल के महिला विंग के जच्चा-बच्चा वार्ड में भर्ती कर लिया गया। शाम 7 बजे एक बार फिर तेज प्रसव पीड़ा होने पर डॉक्टरों ने उन्हें लेबर रूम में शिफ्ट किया और पहले सामान्य प्रसव का प्रयास किया गया। जब वह सफल नहीं हुआ, तो ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर सर्जरी की गई।
डिलीवरी के बाद जब बच्चे की मौत की सूचना मिली, तो परिजनों ने तुरंत अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया और पुलिस को 112 नंबर पर सूचना दी। डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल में फोर्स तैनात कर दी गई। परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने लापरवाही बरती, जिससे नवजात के सिर में ब्लेड लग गया और वह जिंदा होते हुए भी दम तोड़ बैठा। अनीशुर्रहमान ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने गलती को छिपाने के लिए यह बात परिजनों से छुपाई और बाद में बच्चे की मौत को 'मृत प्रसव' करार देने की कोशिश की गई।
महिला वार्ड की प्रभारी डॉ. अनुराधा सचान ने आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा, “शबनम नाम की महिला को भर्ती किया गया था। शाम के समय मशीन से चेक करने पर पता चला कि बच्चे की धड़कन नहीं मिल रही है। मैंने यह बात महिला के पति को बताई और ऑपरेशन की अनुमति मांगी। उनकी सहमति के बाद हमने सर्जरी की। बच्चा मृत अवस्था में बाहर आया। सर्जरी के दौरान उसके सिर में ब्लेड लग गया था, लेकिन वह पहले से ही जीवित नहीं था, इसलिए यह जानकारी हमने अलग से नहीं दी।” डॉ. सचान के इस बयान ने स्थिति को और जटिल बना दिया है, क्योंकि परिजनों के दावे इससे उलट हैं।
हंगामे के दौरान परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि डिलीवरी के लिए नर्सों ने 2500 रुपये मांगे थे, जो बाद में वापस कर दिए गए जब बच्चा नहीं बच सका। इससे यह भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या अस्पताल में अवैध वसूली का चलन भी लापरवाही के साथ-साथ एक बड़ा कारण बनता जा रहा है।
पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और स्टाफ से पूछताछ शुरू कर दी है। अस्पताल के एडमिट रजिस्टर और केस हिस्ट्री की भी जांच की गई है, जिसमें ऑपरेशन की पुष्टि दर्ज है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच जारी है और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।