Fri, 21 Nov 2025 20:05:03 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: उतर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन बुधवार को वाराणसी में एक बार फिर तेज हो गया, जब विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों बिजलीकर्मी सिगरा स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर एकत्र हुए। कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए सरकार और विभागीय प्रबंधन पर समझौतों के उल्लंघन, संविदाकर्मियों की अनैतिक छंटनी, निगम प्रबंधन की मनमानी और कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाने के दबाव के प्रति कड़ा विरोध जताया।
आज का यह प्रदर्शन आंदोलन के 359वें दिन आयोजित किया गया, जो पिछले एक वर्ष से विद्युत निजीकरण के विरोध में लगातार जारी संघर्ष की गंभीरता को एक बार फिर सामने रखता है।
कर्मचारियों ने बताया कि वर्ष 2000 में संघर्ष समिति और प्रदेश सरकार के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते में स्पष्ट रूप से यह अंकित था कि अंतरण योजना से पहले बिजलीकर्मियों को मिलने वाली सभी कल्याणकारी योजनाएं यथावत जारी रहेंगी। इसके बावजूद अधीक्षण अभियंता स्तर से कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाए जाने का दबाव बनाना न सिर्फ समझौते का उल्लंघन है बल्कि यह कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय है। वक्ताओं ने यह भी बताया कि सामान्य उपभोक्ता भी स्मार्ट मीटर की विश्वसनीयता और अतिरिक्त भार को लेकर पहले से ही असंतुष्ट है, ऐसे में कर्मचारियों के घरों पर जबरन मीटर लगाने की कोशिश बिल्कुल अमान्य है।
वक्ताओं ने यह भी याद दिलाया कि सन 2000 तक बिजलीकर्मियों पर राज्य विद्युत परिषद द्वारा निर्धारित विद्युत दर लागू होती थी, लेकिन वर्ष 2005 में राज्य विद्युत नियामक आयोग के गठन के बाद कर्मचारियों को दी जा रही विशेष श्रेणी एलएमवी-10 को समाप्त कर दिया गया। अब ऊर्जा प्रबंधन मौखिक रूप से एनर्जी अकाउंटिंग की बात कर रहा है, जो वर्ष 2000, 2020, 2022 और 2023 में संघर्ष समिति और सरकार के साथ हुए लिखित समझौतों की भावना के खिलाफ है। कर्मचारियों ने कहा कि लगातार हो रहे समझौतों के उल्लंघन से ऊर्जा प्रबंधन के प्रति उनका विश्वास लगभग समाप्त हो चुका है।
संविदाकर्मियों की छंटनी के मुद्दे पर भी प्रदर्शनकारियों ने गंभीर आक्रोश व्यक्त किया। उनका कहना था कि कॉरपोरेशन के आदेश संख्या 295 के अनुसार नगरीय विद्युत वितरण मंडल-द्वितीय वाराणसी में कुल 677 कुशल व अकुशल श्रमिकों की आवश्यकता है, लेकिन मौजूदा टेंडर में केवल 489 कर्मचारियों की व्यवस्था की जा रही है। इससे लगभग डेढ़ सौ संविदाकर्मियों की नौकरी पर खतरा पैदा हो गया है। संघर्ष समिति ने अधीक्षण अभियंता को पत्र देकर एक सप्ताह के भीतर संविदाकर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। समिति ने चेतावनी दी कि यदि किसी कर्मचारी की छंटनी की गई तो सभी बिजलीकर्मी अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे और इसकी पूरी ज़िम्मेदारी अधिकारियों की होगी।
नेताओं ने साफ कहा कि कोई भी कर्मचारी यदि संघर्ष समिति और सरकार के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए कर्मचारियों के घरों पर मीटर लगाने जाएगा तो उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, निर्दोष संविदाकर्मियों और कैश काउंटर ऑपरेटरों को हटाने या परेशान करने की कोशिश की गई तो संघर्ष समिति तत्काल आंदोलन की राह अपनाएगी।
प्रदर्शन में मौजूद पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि जब तक निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से वापस नहीं ले ली जाती, और आंदोलन के दौरान कर्मचारियों पर की गई सभी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही रद्द नहीं होती, तब तक यह संघर्ष किसी भी कीमत पर समाप्त नहीं होगा। उन्होंने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में पिछले एक वर्ष से कर्मचारियों का संघर्ष लगातार जारी है और इसे राष्ट्रव्यापी समर्थन भी मिल रहा है। देशभर के कई बिजलीकर्मी समय-समय पर यूपी के कर्मचारियों के समर्थन में प्रदर्शन कर चुके हैं और हड़ताल भी कर चुके हैं।
संघर्ष समिति ने घोषणा की कि 27 नवंबर को आंदोलन के एक वर्ष पूरे होने पर पूरे प्रदेश के सभी जिलों में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। समिति ने कहा कि बिजलीकर्मी, संविदाकर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता नई ऊर्जा के साथ निजीकरण के खिलाफ एक निर्णायक संघर्ष की ओर बढ़ेंगे।
सभा को आर.के. वाही, ई. मायाशंकर तिवारी, ई. एस.के. सिंह, ओ.पी. सिंह, संदीप कुमार, राजेश सिंह, जयप्रकाश, हेमंत श्रीवास्तव, मनोज जैसवाल, मनोज यादव, ई. नवदीप सैनी, रजनीश श्रीवास्तव, उदयभान दुबे, रंजीत पटेल सहित कई अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने संबोधित किया।