Mon, 24 Nov 2025 20:32:54 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: काशी शहर में 25 नवंबर को साधु टी.एल. वासवानी की जयंती के अवसर पर ‘अभय दिवस’ और ‘अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसी के तहत नगर निगम ने पूरे नगर क्षेत्र में स्थित सभी मीट-मुर्गा-मछली की दुकानों तथा पशुबध गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध का आदेश जारी किया है। यह निर्णय पूर्व वर्षों की तरह ही इस वर्ष भी साधु वासवानी के अहिंसावादी सिद्धांतों को सम्मान देने और पशु-अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिया गया है।
नगर निगम वाराणसी द्वारा जारी आधिकारिक आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि शासनादेश 22.11.2025 के अनुसार 25 नवंबर को पूरे शहर में किसी भी प्रकार का पशुबध, मांस विक्रय या इससे जुड़ी गतिविधियां पूरी तरह बंद रहेंगी। पशु कल्याण अधिकारी डॉ. संतोष पाल द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, आदेश का उल्लंघन करने पर दुकानदारों के खिलाफ नियमित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का कहना है कि राज्य सरकार समय-समय पर धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व वाले अवसरों पर शराब, मांस और मदिरा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाती रही है ताकि आम जनमानस की भावनाओं का सम्मान हो सके।
साधु टी.एल. वासवानी का जीवन अहिंसा और दया का जीवंत प्रतीक रहा। वे हमेशा “सभी प्रकार के वध को बंद करो!” का संदेश देते रहे और पशु अधिकारों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। उनके विचारों और सिद्धांतों का प्रभाव न केवल पुणे, बल्कि देशभर के अनेक शहरों में देखा जाता है, जिनमें वाराणसी भी शामिल है।
हालाँकि उनका प्रमुख केंद्र पुणे था, लेकिन उनकी स्थापित मीरा आंदोलन की गतिविधियों का प्रभाव वाराणसी में भी गहराई से देखा जा सकता है।
1933 में शुरू हुआ मीरा आंदोलन देशभर में लड़कियों की शिक्षा और चरित्र निर्माण पर आधारित एक अनूठी पहल थी। इस आंदोलन के तहत देशभर में बालिकाओं के लिए स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की गई, जिनका सकारात्मक असर वाराणसी जैसे सांस्कृतिक नगरों में भी महसूस किया गया।साधु वासवानी ने महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें शिक्षित कर समाज में अग्रणी भूमिका दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वाराणसी जैसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र में 25 नवंबर को मांस-रहित दिवस के रूप में मनाना केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी है। यह दिन नागरिकों को अहिंसा, दया, करुणा और सभी जीवों के प्रति सद्भाव का बोध कराता है।
नगर निगम का कहना है कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और शहर के नागरिक भी इसे सम्मान देने में हमेशा सहयोग करते आए हैं। साधु वासवानी की शिक्षाएं आज भी समाज के लिए पथप्रदर्शक हैं और युवाओं को करुणा-आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
शहर में 25 नवंबर की सुबह से ही सभी मीट, मुर्गा और मछली की दुकानें बंद रहेंगी। किसी भी प्रकार के पशुबध पर पूर्ण रोक रहेगी। प्रशासन ने स्पष्ट कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। निगरानी के लिए नगर निगम की टीमों को क्षेत्रवार तैनात किया जाएगा। सोशल मीडिया और जनसंचार माध्यमों के जरिए लोगों को पहले से जानकारी दी जा रही है ताकि किसी भी व्यापारी या नागरिक को असुविधा न हो।
साधु टी.एल. वासवानी की जयंती पर वाराणसी में मांस की दुकानों का बंद रहना केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि समाज के उन मूल्यों का सम्मान है जो जीवन के प्रति करुणा और सभी जीवों के प्रति प्रेम को सर्वोपरि रखते हैं।
उनकी शिक्षाएं "अहिंसा ही असली शक्ति है।" आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, और यही कारण है कि वाराणसी जैसी प्राचीन सांस्कृतिक नगरी में यह दिन अभय दिवस के रूप में अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है।