Wed, 25 Jun 2025 18:58:10 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: काशी की गंगा किनारे एक दर्दनाक हादसे में दिल्ली के जनकपुरी निवासी 47 वर्षीय नितिन सिंह की गंगा में डूबने से मौत हो गई। नितिन पेशे से योग प्रशिक्षक और कुशल तैराक थे। वे अपनी पत्नी कंचन सिंह और दो छोटे बच्चों के साथ धार्मिक यात्रा पर वाराणसी आए थे। सोमवार की सुबह वे मीरघाट पहुंचे थे, जहां नहाते समय उनका संतुलन बिगड़ गया और देखते ही देखते वह गंगा की गहराई में समा गए।
गंगा स्नान के दौरान नितिन सिंह बच्चों के सामने करतब कर रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वह बार-बार गंगा में डुबकी लगाकर लंबे समय तक पानी में रुकते और फिर सतह पर लौट आते थे। शुरुआत में यह सब एक सामान्य तैराकी अभ्यास जैसा प्रतीत हो रहा था। लेकिन कुछ देर बाद जब वह एक डुबकी के बाद काफी समय तक ऊपर नहीं आए, तो उनकी पत्नी कंचन सिंह की चिंता बढ़ गई। घबराकर उन्होंने घाट पर शोर मचाया, जिससे मौके पर अफरातफरी मच गई।
सूचना मिलते ही दशाश्वमेध पुलिस चौकी प्रभारी अनुजमणि तिवारी मौके पर पहुंचे और तुरंत एनडीआरएफ की टीम को सूचित किया गया। स्थानीय गोताखोरों के सहयोग से सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ और कुछ ही देर में नितिन को पानी से बाहर निकाला गया। एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर ही CPR देकर उन्हें पुनर्जीवित करने का प्रयास किया, लेकिन जब कोई हलचल नहीं हुई, तो उन्हें मण्डलीय अस्पताल, कबीरचौरा ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने नितिन को मृत घोषित कर दिया।
नितिन सिंह की मौत की खबर से घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई। घटना के बाद घाट पर पुलिस की मौजूदगी बढ़ा दी गई और प्रशासन ने पर्यटकों से गंगा में तैराकी के दौरान सावधानी बरतने की अपील की है।
परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पत्नी कंचन सिंह और मासूम बच्चे पिता को खोने के सदमे में बेसुध हैं। एक पल पहले जो यात्रा आध्यात्मिक अनुभव के लिए शुरू हुई थी, वह अब गहरे शोक में बदल चुकी है। नितिन सिंह न केवल एक प्रशिक्षित योगा टीचर थे, बल्कि फिटनेस और जलक्रीड़ा में विशेष रुचि रखने वाले व्यक्ति थे। गंगा जैसी शांत, लेकिन अनियंत्रित नदी में उनका अनुभव भी उन्हें नहीं बचा सका।
स्थानीय प्रशासन ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। परिजनों की अनुमति के बाद शव को दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही है। वाराणसी पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना है और इसमें किसी तरह की लापरवाही या साजिश के संकेत नहीं मिले हैं।
यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि चाहे कोई कितना भी अनुभवी तैराक क्यों न हो, प्राकृतिक जल स्रोतों में हमेशा सतर्कता बरतनी चाहिए। गंगा में स्नान धार्मिक आस्था से जुड़ा है, लेकिन सुरक्षा के बगैर यह जानलेवा भी हो सकता है।