Thu, 26 Jun 2025 21:33:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: गुरुवार की दोपहर कोईराजपुर गांव के लोगों के लिए एक आम दिन की तरह शुरू हुई थी। खेतों में काम, चौपालों पर गपशप और दूर रिंग रोड फेज-2 से आती गाड़ियों की आवाजें। लेकिन दोपहर के करीब जैसे ही एक युवक का शव गांव के बाहरी छोर पर स्थित एक पुराने शीशम के पेड़ से लटका मिला, सब कुछ ठहर गया। सन्नाटा पसर गया। हर सांस भारी हो गई। गांव की गलियों में सिसकियों का साया छा गया।
जिस युवक की लाश फंदे पर झूलती मिली, उसका नाम मंगल था। मूल रूप से भदोही जिले के औराई थाना क्षेत्र के झउआ गांव का रहने वाला यह 22 वर्षीय युवक जीवन के उस मोड़ पर आकर ठहर गया था जहां से उसने लौटने की बजाय मौत की राह चुन ली। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो सबसे पहले उसने शव के आसपास का मुआयना किया, और फौरन फोरेंसिक टीम को बुलाया गया। मृतक की जेब से मिले मोबाइल फोन ने उसकी पहचान खोल दी, और फिर एक कॉल ने सच्चाई की परतें उधेड़ दीं।
फोन पर संपर्क हुआ मंगल के भाई सुनील से। उसका स्वर टूटता रहा, हर शब्द जैसे गले में अटका हो। पुलिस को दी जानकारी में सुनील ने बताया कि मंगल पिछले कुछ समय से मानसिक रूप से परेशान था, मगर परिवार को यह अंदेशा तक नहीं था कि वह ऐसा कोई कदम उठा लेगा।
जांच में एक और खौफनाक सच सामने आया। मंगल के फोन कॉल डिटेल्स में यह स्पष्ट हुआ कि उसने घटना से पहले कई बार एक लड़की को फोन किया था। यह लड़की कोई और नहीं, उसकी प्रेमिका थी। एक अधूरी मोहब्बत, एक तरफा जज्बात या कोई टूटा वादा। इन सबकी तासीर उस मोबाइल में छुपे हर कॉल में, हर मैसेज में दर्ज थी।
सबसे झकझोर देने वाला तथ्य यह था कि आत्महत्या से पहले मंगल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर उस लड़की की आपत्तिजनक तस्वीरें अपलोड की थीं। साथ ही उसने फेसबुक और व्हाट्सएप दोनों पर अंतिम स्टेटस डाले, जिनमें प्रेमिका की तस्वीर के साथ उसने खुद की मौत का कारण उसी को ठहराया। शब्दों में झलकती टीस, गुस्सा, बेबसी और प्रेम सब एक साथ थे। एक स्टेटस में लिखा था, "जिसे अपना समझा, उसी ने मेरी दुनिया लूटी है। अब न कोई शिकवा है, न सवाल। अलविदा ज़िंदगी।"
स्थानीय पुलिस के साथ एसीपी पिंडरा प्रतीक कुमार भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने संजीदा लहजे में बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, और मृतक के मोबाइल से मिली जानकारी के आधार पर परिजनों को सूचित किया गया है। यदि परिवार की ओर से तहरीर दी जाती है तो नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
गांव अब भी स्तब्ध है। लोग एक-दूसरे से आंखें चुराते हैं, जैसे कोई उत्तर खोज रहे हों। कोईराजपुर का वो शीशम का पेड़ अब बस एक पेड़ नहीं रह गया। वो एक अधूरी कहानी का मूक गवाह बन गया है। एक ऐसी प्रेम कथा का जो सोशल मीडिया की दीवारों पर लिखा गया आखिरी अल्फाज़ बनकर खत्म हो गई।
इस घटना ने न केवल एक युवा की जान ली, बल्कि समाज, रिश्तों और सोशल मीडिया के भयावह उपयोग को भी आईना दिखा दिया। वो पेड़ अब हर गुजरने वाले से बस एक सवाल पूछता है। क्या कोई दर्द इतना बड़ा हो सकता है कि ज़िंदगी से बड़ा हो जाए।