दिल्ली धमाके के बाद पश्चिमी यूपी पर खुफिया एजेंसियों की नजर, बढ़ रही आतंकी गतिविधियां

दिल्ली धमाके के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गया है, आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं और स्लीपर सेल सक्रिय हैं।

Tue, 11 Nov 2025 13:07:00 - By : Shriti Chatterjee

दिल्ली में सोमवार को हुए धमाके के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक बार फिर खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गया है। मेरठ, सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में आतंकी गतिविधियां बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। एटीएस और इंटेलीजेंस यूनिट ने क्षेत्र में निगरानी तेज कर दी है। हाल में हुई गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट हो गया है कि कई स्लीपर सेल सक्रिय हैं जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकते हैं।

सहारनपुर से छह नवंबर को अनंतनाग निवासी आतंकी डॉक्टर आदिल अहमद की गिरफ्तारी और आठ नवंबर को अहमदाबाद से शामली निवासी आजाद के पकड़े जाने के बाद खुफिया एजेंसियों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि डॉक्टर आदिल सहारनपुर में चिकित्सा सेवा के बहाने अपना नेटवर्क तैयार कर रहा था। जम्मू कश्मीर पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग ने उसके ठिकानों की तलाशी ली और उसके संपर्क में आए डॉक्टरों से पूछताछ की। इसके साथ ही अहमदाबाद में पकड़े गए आजाद के तार भी आइएसआइएस से जुड़े बताए जा रहे हैं।

भूतकाल पर नजर डालें तो यह कोई नई स्थिति नहीं है। पिछले पंद्रह सालों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लगभग सौ आतंकी पकड़े जा चुके हैं। इनमें एजाज शेख, शाहिद इकबाल भट्टी, उमर मोहम्मद उस्मानी, तनवीर, बिलाल खान, अक्षय सैनी, तालिब अंसारी और आसिफ अली जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से दो सौ से अधिक आइएसआइ एजेंट गिरफ्तार हो चुके हैं। जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े आतंकियों ने मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा और रामपुर जैसे जिलों में पनाह ली थी।

वर्ष 2015 में मेरठ से पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस एजाज ने भी कबूल किया था कि वेस्ट यूपी में आइएसआइ का मजबूत नेटवर्क मौजूद है। उसने बताया कि इस नेटवर्क के एजेंट सेना की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान तक पहुंचाते हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ कमांडर इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा, जो शामली के रहने वाले हैं, लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एजेंट तैयार करने में सक्रिय हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के युवाओं को धार्मिक भावनाओं और पैसों के लालच में फंसा रहे हैं।

पिछले दो साल में शामली से चार आइएसआइ एजेंटों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ये सभी गरीब परिवारों से थे और मजदूरी करते थे। एटीएस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि इकबाल काना व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे माध्यमों से युवाओं से संपर्क करता था और उन्हें गजवा ए हिंद के नाम पर भड़काता था। वर्ष 2022 में पाकिस्तान गए शामली निवासी कलीम के मोबाइल से सेना के ठिकानों और राफेल से जुड़ी गोपनीय तस्वीरें बरामद हुई थीं जिन्हें उसने इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा को भेजा था।

एडीजी मेरठ जोन भानु भास्कर ने कहा है कि एटीएस और खुफिया एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं और स्थानीय इंटेलीजेंस यूनिट को और मजबूत किया जाएगा। पुलिस संदिग्ध आतंकियों और उनके मददगारों की पहचान कर कार्रवाई में जुटी है। उन्होंने कहा कि आतंकियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए हर स्तर पर रणनीतिक कदम उठाए जा रहे हैं।

शामली में पकड़े गए आजाद के परिवार की भी जांच चल रही है। उसके पिता सुलेमान ने कहा कि यदि बेटा देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है तो वे उसका साथ नहीं देंगे। लेकिन अगर वह निर्दोष है तो उसे न्याय मिलना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि उनका बेटा बिना किसी जानकारी के गुजरात कैसे पहुंच गया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की यह स्थिति सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। लगातार सामने आ रही गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट है कि आतंकियों की नजर इस क्षेत्र पर बनी हुई है। केंद्र और राज्य की खुफिया इकाइयां अब संयुक्त रूप से काम कर रही हैं ताकि किसी भी आतंकी साजिश को समय रहते नाकाम किया जा सके।

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