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वाराणसी: असम के राज्यपाल ने गृह नगर में सुनी श्रीमद्भागवत कथा, जय श्रीकृष्ण और हरि बोल से गूंजा पूरा क्षेत्र

वाराणसी: असम के राज्यपाल ने गृह नगर में सुनी श्रीमद्भागवत कथा, जय श्रीकृष्ण और हरि बोल से गूंजा पूरा क्षेत्र

असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने अपने गृह नगर वाराणसी के रामनगर में श्रीमद्भागवत कथा में भाग लिया, भक्तों से मिले।

वाराणसी: रामनगर/भक्ति, भाव और श्रद्धा से सराबोर रामनगर का वातावरण शुक्रवार को उस समय और अधिक पावन हो उठा जब असम के राज्यपाल महामहिम लक्ष्मण प्रसाद आचार्य अपने गृह नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में सम्मिलित हुए। पुराने रामनगर स्थित साईं उत्सव वाटिका में चल रही इस दिव्य कथा के पवित्र मंच पर महामहिम का आगमन श्रद्धालुओं के लिए किसी अलौकिक क्षण से कम नहीं था।

राज्यपाल के पहुंचते ही पूरा परिसर "जय श्रीकृष्ण" और "हरि बोल" के गगनभेदी उद्घोषों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट और पुष्प वर्षा से महामहिम का भव्य स्वागत किया। राज्यपाल ने सभी श्रद्धालुओं को नमन करते हुए कहा कि यह भूमि उनके जीवन की आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत रही है। उन्होंने व्यासपीठ पर पहुंचकर विधिवत पूजन-अर्चन किया और भगवान श्रीकृष्ण की आरती उतारी। इस दौरान जब वे दीपक लिए भगवान के समक्ष खड़े हुए, तो उनके चेहरे की आभा और श्रद्धा देखने लायक थी, मानो कोई भक्त अपने आराध्य से साक्षात संवाद कर रहा हो।

महामहिम ने कथावाचक श्रीकृष्णदास जी महाराज (वृंदावन वाले) का ससम्मान स्वागत करते हुए उन्हें अंगवस्त्र और तुलसीमाला पहनाई। महामहिम लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि "श्रीमद्भागवत कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह समाज में सद्भाव, सेवा और संस्कारों का ज्वलंत दीपक है। यह कथा हमें सिखाती है कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि मनुष्य में मानवता और प्रेम का भाव जगाने का माध्यम है। हमें कथा के उपदेशों को जीवन का हिस्सा बनाकर समाज में एकता, प्रेम और सकारात्मकता फैलानी चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा कि "काशी की यह पवित्र धरती सदैव धर्म, ज्ञान और संस्कृति का संगम रही है। ऐसे आयोजनों से न केवल आध्यात्मिक चेतना का प्रसार होता है, बल्कि यह समाज को नैतिकता की नई दिशा भी देता है।"

एमएलसी धर्मेंद्र राय ने कहा कि “भागवत कथा जीवन को शुद्ध करने, विचारों को सकारात्मक बनाने और आत्मा को प्रभु से जोड़ने का सर्वोत्तम माध्यम है। जब व्यक्ति अपने कर्म को भक्ति से जोड़ लेता है, तो जीवन स्वयं ईश्वर का उत्सव बन जाता है।”

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मुरारी लाल यादव ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि "महामहिम का अपने गृह नगर आना हमारे लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने हमेशा समाज की भलाई और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए प्रेरणा दी है। यह कथा उनके सानिध्य में और भी पुण्यदायी बन गई है।" यादव जी ने महामहिम को बाबा काशी विश्वनाथ जी की प्रतिमा और अंगवस्त्र भेंट किया।

पार्षद रामकुमार यादव ने कहा कि "राज्यपाल जी का यह आगमन पूरे नगर के लिए गौरव की बात है। उनका सादगीपूर्ण व्यवहार और धार्मिकता के प्रति निष्ठा आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है।"

शैलेंद्र किशोर पांडे ‘मधुकर’ ने कहा कि "महामहिम लक्ष्मण आचार्य का जीवन कर्म, संस्कार और सेवा का प्रतीक है। आज उन्होंने जो संदेश दिया है, वह हर नागरिक के लिए जीवन पथ का मार्गदर्शन बन सकता है।"

आनंद यादव (एडवोकेट) ने कहा कि "भागवत कथा केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का शास्त्र है। इससे हम अपने भीतर के अहंकार, ईर्ष्या और नकारात्मकता को त्याग कर सच्चे अर्थों में मनुष्य बनना सीखते हैं।"

वहीं रितेश पाल ने कहा कि "राज्यपाल जी जैसे कर्मयोगी जब धार्मिक मंचों पर आते हैं, तो यह साबित होता है कि सत्ता और समाज दोनों में संस्कृति का गहरा रिश्ता है। उनका आशीर्वाद हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।"

राजकुमार सिंह और अकिंत राय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा स्थल पर भक्ति संगीत और श्रीकृष्ण भजनों की मधुर ध्वनि गूंजती रही। हर ओर दीपों की रौशनी, धूप की सुगंध और जयकारों की गूंज से वातावरण पूर्णतः भक्तिमय बना रहा।

समापन में श्रीकृष्णदास जी महाराज ने कहा, "जहां भक्त और भगवान के बीच प्रेम का संवाद होता है, वहीं सच्ची कथा होती है। आज का यह दिन रामनगर के लिए स्मरणीय बन गया है, क्योंकि यहां केवल कथा नहीं, बल्कि भक्ति का महासागर उमड़ पड़ा।"

इस तरह रामनगर की साईं उत्सव वाटिका शुक्रवार को एक दिव्य, अलौकिक और अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव का साक्षी बनी, जहां श्रद्धा और संस्कृति का संगम देखने को मिला, और महामहिम लक्ष्मण प्रसाद आचार्य का सानिध्य उस कथा को युगों तक यादगार बना गया।

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